भोर का वर्णन
रत्ना बापुलीलखनऊ (उत्तरप्रदेश)***************************************** भू ने कहा रात्रि से,देख बीत रहा प्रहरसमय गति अति तीव्र,भोर फैला रहा चादर। करने कंटक हीन राह,श्वेत मेघ करता फुहारजिद्दी निशा भी देखो,छोड़ रहा न निज…
रत्ना बापुलीलखनऊ (उत्तरप्रदेश)***************************************** भू ने कहा रात्रि से,देख बीत रहा प्रहरसमय गति अति तीव्र,भोर फैला रहा चादर। करने कंटक हीन राह,श्वेत मेघ करता फुहारजिद्दी निशा भी देखो,छोड़ रहा न निज…
प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश)******************************************* तपे नगर सब गाँव, सूरज आतिश बन गया।ढूँढ रहे सब छाँव, जीवों में अकुलाहटें॥ बिलख रहा इंसान, लू चलती है गति लिए।देखो सारी आन, नदियों से…
ताराचन्द वर्मा ‘डाबला’अलवर(राजस्थान)*************************************** कह दो जमाने से,अब हमने तकलीफों सेदोस्ती कर ली है,कोई फरेबी हितैषी बनकरहमारी फिक्र में अपना,वक़्त जाया न करे। लोग तमाशा देखते हैं,हमारी मजबूरियों कादेखते रहें कोई…
संजय सिंह ‘चन्दन’धनबाद (झारखंड )******************************** बहुत तेज थी मेरी दीदी,खूब खिलाती, खूब पढ़ातीमाँ जैसा ही रौब जमाती,बड़ा हँसाती, बड़ा बतातीपूरा इंसाक्लोपीडिया समझाती,कथा-कहानी, अर्थ बुझाती। कवि-लेखक का नाम बताती,लेखक काव्य के…
डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) ************************************************* आतंकवाद रोग तम, फैला है संसार।उठा पार्थ ब्रह्मास्त्र फिर, करो पाक संहार॥ सूखा कभी न घाव तज,जख्म कठिन नासूर।काटो जड़ आतंक का, वरना भष्मासुर॥…
डॉ.एन.के. सेठीबांदीकुई (राजस्थान) ********************************************* जीना जैसे पिता.... रचना शिल्प:८ ८ ८ ८=३२ पिता से ही धनवानपिता धरा के समानपिता ही हैं आसमानपिता सबका आधार। पिता से ही दुनिया हैपिता से…
आशा आजाद`कृतिकोरबा (छत्तीसगढ़)**************************** हे मानव नित भोर भये सब, कर लें योग।कभी देह को नहीं धरेगा, कोई रोग॥ भिन्न-भिन्न योगा के गुण को, जानें आप।मानव नित पदचार करें तन, सहता…
श्रीमती देवंती देवीधनबाद (झारखंड)******************************************* आओ मिल के करें प्रतिज्ञा, हम सब रक्तदान को,चलो मिलकर बढ़ाते हैं कदम, ऐसे पुण्य काम को। भूलना नहीं, मनुष्य ही मनुष्य के काम आता है,ना…
ताराचन्द वर्मा ‘डाबला’अलवर(राजस्थान)*************************************** मर्म से निकले आँसू,तुम्हें तबाह कर देंगेतेरी करतूतों को सबके सामने,बयां कर देंगे। तू देखता रह जाएगा,खुद को आईने मेंऔर ये आँसू तुझे अपनों से,जुदा कर देंगे।…
डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) ************************************************* रथयात्रा पावन नमन, जगन्नाथ श्रीधाम।नैन युगल कंजल कमल, दर्शन कोटि प्रणाम॥ बहन सुभद्रा चारुतम, संग दाऊ बलराम।तिहूँ सुशोभित पृथक रथ, जगन्नाथ अभिराम॥ द्वारकेश हृदयस्थली,…