ख़ामोशी

डॉ.अशोकपटना(बिहार)********************************** यह हुनर है एक क़ाबिल बन्दे का,ग़लत सवाल परजो हर वक्त ख़ामोश रहते हैं,सवाल करने वाले को इसी हुनर सेउसे उसकी हद में कर देते हैंबड़ी शिद्दत से यह,हुनर…

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सावन आया झूम-झूम के

संजय सिंह ‘चन्दन’धनबाद (झारखंड )******************************** मिटा ताप का तेजस काया,झूम-झूम के सावन आयाकाले बादल, बरखा भायी,माया मोह भी अब शरमाईमस्त मगन सावन है आया,धरती माँ का भीगा आँचलबरसे बरखा, फटते…

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…तो याद आया

अरुण वि.देशपांडेपुणे(महाराष्ट्र)************************************** अपनों ने ही मुझे हर बार बातों में फँसाया,फिर किसी से खाया धोखा तो याद आया। कोई नहीं अपना यहाँ, जग पराया हो गया,एक और हो गया बेगाना,…

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ओ सावन के मेघा मतवाले

डॉ. कुमारी कुन्दनपटना(बिहार)****************************** लगे कि जान, निकली जाएजीना मुश्किल है संसार मेंओ सावन के मेघा मतवाले,सब हैं तेरे इन्तजार में। सुरज तपिश ना झेली जाए,लगे दो-दो सूरज निकले हैंइनका काम,…

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कभी पास तो कभी सुदूर

डॉ. श्राबनी चक्रवर्तीबिलासपुर (छतीसगढ़)************************************************* शांत पहाड़ की चोटी,सीधे मेरी ओर देखकरन जाने क्यों मुझे,आवाज देती हैअपनी ओर बुलाती है। उस दुर्गम पथरीले गिरि के,ऊंचाई भरे संकीर्ण पथ परचढ़ना सरल नहीं…

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तारीफ सुनने की आदत न डालिए

बबीता प्रजापति ‘वाणी’झाँसी (उत्तरप्रदेश)****************************************** तारीफ सुनने की,आदत न डालिएमीठा जहर है ये,जीवन से निकालिए। तारीफ तो हमेशा,पीठ पीछे हो तो भलीसामने तारीफ की,आदत न डालिए। मगर सुनिए!कुछ-कोई अच्छा लगे अगरदिल…

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तप में होता प्रताप

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश)******************************************* तप से हरदम बल मिले, मन हो जाता शांत।बिखरे नित नव चेतना, रहे नहीं मन क्लांत॥ तप में होती दिव्यता, मिलता है आवेग।इसमें पावनता भरी, जो…

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पाश्चात्य संस्कृति और हम

ताराचन्द वर्मा ‘डाबला’अलवर(राजस्थान)*************************************** भटक रही है युवा पीढ़ी,नित-नित नए ख्वाब लिएमंजिल का कहीं पता नहीं,यूँ ही जीवन बर्बाद किए। पाश्चात्य संस्कृति का रंग,कूट-कूट कर भर गया हैअर्थहीन आज का युवा,बीच…

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बारिश और हम

दिनेश चन्द्र प्रसाद ‘दीनेश’कलकत्ता (पश्चिम बंगाल)******************************************* चलिए बारिश में नहाएं,फिर से बच्चा बन जाएं। यहां से भागें वहां पे दौड़ें,तुम हमें, हम तुम्हें पकड़ेंजी भर खेलें-कूदे हम तो,फिर से सच्चा…

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प्रकृति की छटा निराली

कमलेश वर्मा 'कोमल'अलवर (राजस्थान) ************************************* प्रकृति की देखो छटा निराली,कितनी सुंदर कितनी मतवाली। ऊंचे-ऊंचे पर्वत देखो, निर्मल झरते झरनों को देखो,उन पर लहराते पेड़ों को देखो, करतल करते पत्तों को…

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