पिता, पिता होता है…

डॉ.अनुज प्रभातअररिया ( बिहार )**************************** जीना जैसे पिता... पिता, पिता होता है,'माँ' नहींउसके हिस्से मेंकेवल पालन-पोषण होता है,इसलिएवह पत्थर होता है। पत्थर पर,किसी खरोंच केनिशान नहीं उगते,बूंद-बूंद टपक करकोई गड्ढा…

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आँसू

डाॅ. अरविंद श्रीवास्तव ‘असीम’दतिया (मध्यप्रदेश)************************************************* टपक-टपक कर आँसू कहते,किसको अपनी व्यथा सुनाऊँ।बीत गए युग सहते-सहते,कैसे अपनी बात बताऊँ। कभी-कभी पिछली यादों में,मन जब भी खो जाता है।प्रेम भरे झूठे वादों…

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मेरे वतन की माटी

हेमराज ठाकुरमंडी (हिमाचल प्रदेश)***************************************** मेरे वतन की माटी की खुशबू, सुबह-शाम जिसे जब आती है,मन हो उठता है बाग-बाग सा, रूह होती तब मदमाती है। यह भक्ति-मुक्ति की पावन धरा…

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बालाजी से बढ़कर कोई नहीं

संजय वर्मा ‘दृष्टि’ मनावर(मध्यप्रदेश)**************************************** श्री बालाजी की भक्ति को जिसने समझा सही,उसे दुनिया से कोई शिकवा नहींश्री बालाजी से बढ़कर दुनिया में कोई नहीं,वो क्या जानेंगे, जिसने कभी भक्ति की ही…

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झूले पड़ गए बागों में

राधा गोयलनई दिल्ली****************************************** सावन का मतवाला मौसम, 'झूले पड़ गए बागों में',डाल हाथ में हाथ पिया, चल झूमें मस्त बहारों में। डाल-डाल पर बैठे पंछी मधुर रागिनी गाते हैं,सावन की…

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वीर सपूत

श्रीमती देवंती देवीधनबाद (झारखंड)******************************************* हे भारत माता के वीर सपूतों तुम्हें सादर प्रणाम,हे भारत के रखवालों, वीर सपूतों तुम्हें प्रणाम। जब याद आती है, हे वीर सपूतों आपकी हमें,कितना कष्ट…

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कहीं ऐसा ना हो!

अमल श्रीवास्तव बिलासपुर(छत्तीसगढ़) *********************************** हरा, भरा यह खिलता उपवन,पतझड़ ही ना बन जाएभारत के भीतर भारत की,अस्मत ही न छली जाए। सच को सच, झूठे को झूठा,कहने मे संकोच जहांभारत वासी,…

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सावन वर्षा मुदित शिव

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) ************************************************* पावन सावन मास में, अम्बर है अभिराम।गर्जन तर्जन बिजुलिया, छाया है घनश्याम॥ देख मेघ प्रियतम सखा, वर्षा मुख मुस्कान।बनी नर्तिका वर्षिणी, बरसी रिमझिम गान॥…

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ख्वाहिश

दिनेश चन्द्र प्रसाद ‘दीनेश’कलकत्ता (पश्चिम बंगाल)******************************************* जानलेवा गर्मी के बाद,राहत भरी बारिश हुई हैआज बहुत दिनों के बाद,बाँहों में लेने की ख्वाहिश हुई है। प्यासे थे पेड़-पौधे जीव-जंतु,प्यास बुझाने की…

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जीवन एक संगीत

संजय सिंह ‘चन्दन’धनबाद (झारखंड )******************************** सुर-ताल गीत-संगीत,झंकृत हो अविरल प्रीतपक्षी-पौधे, जीव-जंतु,सब सुनते गीत-संगीत। कोयल की मधुर कुहू सा गीत,तोते के भी शब्द निकलतेजैसे मधुर मीठे हों नीत,वन-जंगल में मयूर नृत्य…

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