ध्यान रहे निज कर्म पर
बोधन राम निषाद ‘राज’ कबीरधाम (छत्तीसगढ़)****************************************************** जय श्री कृष्ण (भाग-२)... ध्यान रहे निज कर्म पर, फल में ना आसक्ति।चिंता छोड़ो ईश पर, यही कृष्ण की भक्ति॥ कृष्ण सदा कहते यही, रहो…
बोधन राम निषाद ‘राज’ कबीरधाम (छत्तीसगढ़)****************************************************** जय श्री कृष्ण (भाग-२)... ध्यान रहे निज कर्म पर, फल में ना आसक्ति।चिंता छोड़ो ईश पर, यही कृष्ण की भक्ति॥ कृष्ण सदा कहते यही, रहो…
अब्दुल हमीद इदरीसी ‘हमीद कानपुरी’कानपुर(उत्तर प्रदेश)********************************************* उसके आने का शुरू जब सिलसिला हो जाएगा।नफ़रतों का ज़ख्म यारों फिर हरा हो जाएगा। मौज-मस्ती से सूकूं से कट रही थी ज़िन्दगी,किसने जाना…
डॉ.एन.के. सेठीबांदीकुई (राजस्थान) ********************************************* रचनाशिल्प:मापनी-१२२२ १२२२ १२२२ १२२२ विधाता का बड़ा अद्भुत सुसर्जन कार्य है गीता।जगत को राह दिखलाती हमें ये मात सुपुनीता॥दिया था ज्ञान अर्जुन को मनोहर कृष्ण गोविंदा।भजा…
उमेशचन्द यादवबलिया (उत्तरप्रदेश) *************************************************** हम भी राही, तुम भी राही,चलो, राह आसान बनाते हैंजब दोनों हैं राही-राही,चलो, इरादा नेक बनाते हैं। सभी मुसाफिर व्यस्त हैं खुद में,चलो, हम कुछ बतियाते हैंराह…
विजयलक्ष्मी विभा इलाहाबाद(उत्तरप्रदेश)************************************ हाथ तिरंगा, सर पे पंगा,दिल में लेकर आग।निकल पड़े हम स्वाहा करने,तुझे कालिया नाग॥ जब चाहा तूने फुफकारा,वीर बांकुरों को ललकारासीमाओं पर घुस कर तूने,निर्दोषों को छल से…
विनोद सोनगीर ‘कवि विनोद विनम्र’इन्दौर(मध्यप्रदेश)************************************* पाँवों में पड़ गए छाले हैं,महंगे फिर भी निवाले हैं। जो जी तोड़ करे मेहनत,संताप उसने नहीं पाले हैं। काम की बारी जब आए,मुँह पर…
डॉ.अशोकपटना(बिहार)********************************** समय को बांधने का,प्रयास जारी हैसफलता दूर-दूर तक,दिख रही भारी है। अच्छी-अच्छी बातें,कर रहे हैं लोगसच्चाई कुछ और ही,दिख रही है चारों ओर। वक्त को लोग समझाने में,शिद्दत से…
डॉ. श्राबनी चक्रवर्तीमनेन्द्रगढ़ (छत्तीसगढ़)********************************************* यादें तंग करती है,रातों को जगाकरधीमे से आकर,कुछ पल खट्टे-मीठेपलकों के नीचे,आँखों को भीचेंयादें तंग करती है। मुड़कर देखा तो,बचपन के साथीछुपा-छुपी खेले,पेड़ों के नीचेस्कूल के…
अब्दुल हमीद इदरीसी ‘हमीद कानपुरी’कानपुर(उत्तर प्रदेश)********************************************* बोझ सारे उतार कर जाना।अब न शेखी बघार कर जाना। इससे मिलता नहीं कहीं कुछ भी,अब जुनूं मत सवार कर जाना। माँगने से नहीं…
ताराचन्द वर्मा ‘डाबला’अलवर(राजस्थान)*************************************** आज की सुबह,मैं चाय की चुस्की के साथसुहानी धूप सेंक रहा था,नए साल के स्वागत के लिएकुछ तरकीब सोच रहा था।सहसा एक ख्याल आया मन में,गुजरे हुए…