शीत

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश)******************************************* धुंध छाई,लुप्त सूरज,शीत का वातावरण,आदमी का ठंड का बदला हुआ है आचरण। रेल धीमी,मंद जीवन,सुस्त हर इक जीव है,है ढके इंसान को ऊनी लबादा आवरण। धुंध…

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अंजाम क्यों हो ‘श्रद्धा’ सा तुम्हारा!

दुर्गेश कुमार मेघवाल ‘डी.कुमार ‘अजस्र’बूंदी (राजस्थान)************************************************** श्रद्धा हत्याकांड... सोया था मैं गहरी नींद में,एक मुझे सपना आयाहाथ पकड़कर, गहन झंझोड़कर,जैसे था मुझे नींद जगाया। एक दिखा अस्पष्ट-सा साया,जो धुंधला-सा लगता…

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परेशानियों में अक्सर…

संदीप धीमान चमोली (उत्तराखंड)********************************** परेशानियों में अक्सर कड़वाहट बढ़ जाती है,जुबां अपनी, अपनों पर ही भारी पड़ जाती है। लफ़्ज़ों का सलीका जो मोहब्बत का था उनसे,उलझनों में तार-तार हदें तमाम…

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चाँदनी की हुई मुलाकात

श्रीमती देवंती देवीधनबाद (झारखंड)******************************************* नील गगन में आज सुहानी रात है,झिलमिल तारों की आज बारात हैजा रहा है चन्द्रमा, चाँदनी से मिलने,आपबीती दिलों की कहानी कहने। छुप गई है चाँदनी,…

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नारी का संविधान में अधिकार

आशा आजाद`कृति`कोरबा (छत्तीसगढ़) ******************************************* हे भारत की नारी सुन लो, संविधान को जानिए।अधिकार जो प्राप्त हमें है, पढ़ उसको पहचानिए॥ बाबा साहेब आम्बेडकर जी, सकल जगत की शान है,महिलाओं का…

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मौसम ने मारा

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश)******************************************* ठंडी की तो रुत है आई, माँगें सभी रजाई।मौसम ने मारा है सबको, व्याकुल दद्दा-माई॥हवा चल रही बेहद शीतल, देते सभी दुहाई।कैसी ये है आई विपदा,…

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इनके होने से जगमग

तृप्ति तोमर `तृष्णा`भोपाल (मध्यप्रदेश) **************************************** नन्हें बच्चे होते फूलों की डली,जिनकी आवाज से गूंजती हर गली। नन्हें-नन्हें पाँव से घूमे सारी फुलवारी,बात-बात पर दिखाते अपनी अदाकारी। बच्चे हैं नए-नए फूलों का…

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दो बातें तुमसे…

हेमराज ठाकुरमंडी (हिमाचल प्रदेश)***************************************** आँखें प्यासी है आज भी प्रिये,तेरे उस सादे सहज दीदार की।जमाना बीत गया है किए हुए,दो बातें तुमसे शालीन प्यार की। किससे कहूं और क्या कहूं,…

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मेरी ‘शोभा’ मेरा शबाब

हीरा सिंह चाहिल ‘बिल्ले’बिलासपुर (छत्तीसगढ़) ********************************************* रचनाशिल्प:२२१२ १२२२ २१२१ २२ इक पौध पर खिले हम, जिसका खिताब तुम हो।हूँ खार शाख पर मैं, उसका गुलाब तुम हो। मुरझा कभी न…

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सादगी और मासूमियत

वंदना जैन 'शिव्या'मुम्बई(महाराष्ट्र)************************************ सुनो मासूमियत,तुम रहना सदा उपस्थित। गुण बन जीवन सृजन में,मानवता बन मन के आँगन में। रंग बन पुष्पों, पत्तों और डालियों में,बच्चों की सहर्ष तालियों में। पक्षियों की…

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