नियम अटल, करिए मान

डॉ.एन.के. सेठीबांदीकुई (राजस्थान) ********************************************* नियमबद्ध कविता लिखें, करें न कोई भूल।पढें कभी विद्वान जन, हिय में चुभे न शूल॥ करो नियम की पालना, जीवन में सब लोग।वरना घेरेंगे हमें, भांति-भांति…

0 Comments

अद्भुत श्रृंगार

श्रीमती देवंती देवीधनबाद (झारखंड)******************************************* कलम की ध्वनि से लिखा है देखिए, मेरा अद्भुत श्रृंगार,प्रेम रतन धन के समान, मिलता है मुझे साजन का प्यार। कुदरत का दिया अजब सम्पूर्ण, सुन्दर…

0 Comments

अनुशासन है विजय

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश)******************************************* अनुशासन का है नहीं, किंचित यहां विकल्प।अनुशासन को मानना, आगत का संकल्प॥ अनुशासन को मानकर, मानव बने महान।अनुशासन संकल्प है, जो लाता सम्मान॥ अनुशासन है चेतना,…

0 Comments

संवाद-तर्क बचाता

ममता तिवारी ‘ममता’जांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)************************************** तर्क ही शास्त्र सम्मत तथ्य है,युद्ध सर्वनाश यही बचातास्वस्थ समाज की आवश्यकता,सदा तर्क प्रगति राह सुझाता…। अज्ञान कुतर्क करता संक्षिप्त,सर्व संवाद से हल हो जाता।उद्दिग्न क्रोध, व…

0 Comments

खामोशी कहती है…

डॉ. कुमारी कुन्दनपटना(बिहार)****************************** खामोशी भी कुछ कहती है,जो शब्द नहीं कह पाती हैछुपा खजाना शब्दों का ये,शब्द भी मौन रखा करती है। कभी करती इनकार खामोशी,कभी इकरार किया करती हैकभी…

0 Comments

बनें श्रीराम

अजय जैन ‘विकल्प’इंदौर(मध्यप्रदेश)****************************************** विजयादशमी विशेष.... मारें बुराई,सत्य की खातिर-करें लड़ाई। नहीं सहन,विरोध हो अन्याय-करें दहन। नाश असत्य,अधर्म जीते धर्म-विजय सत्य। मिलाएं कदम,दें कमजोर साथ-प्रतीक हम। शान मर्यादा,छोड़ दें अहंकार-रखें इरादा।…

0 Comments

मुश्किलों को देख रोया नहीं

अब्दुल हमीद इदरीसी ‘हमीद कानपुरी’कानपुर(उत्तर प्रदेश)********************************************* काम बाक़ी रख कभी सोया नहीं।बे सबब का बोझ ये ढोया नहीं। मुश्किलों को देखकर रोया नहीं।नर्म बिस्तर पर सभी सोया नहीं। काम अच्छे…

0 Comments

है कोई सच्चा राम!

ताराचन्द वर्मा ‘डाबला’अलवर(राजस्थान)*************************************** देखो आज फिर,बौने हो गए रामरावण का बढ रहा कद,बिना रुके, बिना विराम। गाँव-गाँव ढाँणी-ढाँणी में,पनप रहा पापों का राजरावण के पुतले को आखिर,कौन लगाए आग। जन-जन…

0 Comments

विजय कहूँ!

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) *********************************************** रावण दहन के इतिहास में,मैं दानवता का अंत कहूँया पाखंड मुदित खल मानस,कोटि रावण अब आभास करूँ। परमारथ सुख शान्ति लोक में,यश विजय दीप…

0 Comments

आसमां, मुझे सुकून दे

डॉ.अशोकपटना(बिहार)********************************** अपनी आँखों को थोड़ा,नम कर मुझे सुकून देबदहाली पर रो रही हूँ,मन में खुशियाँ भर दें। जमाने पर हम क्या विश्वास करें,इच्छा है तो खुशहाली देगुलशन मुरझाने लगा है,थोड़ी…

0 Comments