मुहब्बत का खुला पैगाम गाँधी

अब्दुल हमीद इदरीसी ‘हमीद कानपुरी’कानपुर(उत्तर प्रदेश)**************************************************** नया एंगिल नया आयाम गाँधी।हमारे मुल्क को इन्आम गाँधी। बुराई से रहे लड़ते हमेशा,मुहब्बत का खुला पैगाम गाँधी। भुला सकता नहीं सदियों ज़माना,जहां में…

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सूखी है जमीं

हीरा सिंह चाहिल ‘बिल्ले’बिलासपुर (छत्तीसगढ़) ************************************** रचना शिल्प:काफिया-आत(बात,सौगात,खैरात इत्यादि),रदीफ-हुई होगी २ २ १ १ २ २ २ २ २ १ १ २ २ २ जब दूर गगन,धरती,आपस में मिले होंगे,तब…

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न गुज़रे किसी पर

सरफ़राज़ हुसैन ‘फ़राज़’मुरादाबाद (उत्तरप्रदेश) ***************************************** छलकती हैं आँखें ज़रा 'सी खुशी पर।जो गुज़री है हम पर न गुज़रे किसी पर। परेशाँ हमें देखकर हँसने वालों।हँसी आ रही है 'तुम्हारी 'हँसी पर।…

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हम पिघलते हैं

अब्दुल हमीद इदरीसी ‘हमीद कानपुरी’कानपुर(उत्तर प्रदेश)**************************************************** ख्वाब जब लफ़्ज़ में बदलते हैं।शायरी में तभी तो ढलते हैं। राह की मुश्किलों से डर कर हम,लक्ष्य हरगिज़ नहीं बदलते हैं। राह सबको…

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बेक़रारी हमारी-तुम्हारी

सरफ़राज़ हुसैन ‘फ़राज़’मुरादाबाद (उत्तरप्रदेश) ***************************************** छिनी दस्तकारी हमारी तुम्हारी।कमी है यह सारी हमारी तुम्हारी। उठे लाख तूफ़ाँ मगर अब भी यारों।मुह़ब्बत है जारी हमारी तुम्हारी। सभी हम पे ग़ालिब हुए जा…

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हैं अंज़ाम तस्वीरें

डॉ.अमर ‘पंकज’दिल्ली****************************************** विवश करती हुई यादों की हैं अंज़ाम तस्वीरें।बिख़रते से ख़यालातों की हैं अंज़ाम तस्वीरें। फ़साने बन ही जाते हैं सफ़र हो मुख़्तसर फिर भी,तेरी क़ुर्बत के अफ़सानों की…

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नया सवेरा

डॉ.अमर ‘पंकज’दिल्ली****************************************** नव वर्ष विशेष.... तुम्हीं ने है तोड़ा अँधेरों का घेरा,निकलने लगा है नया फिर सवेरा। नये साल ने मुस्कुराकर कहा है,चमक सूर्य बनकर है ये साल तेरा। जहाँ…

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भारत महान है

जसवीर सिंह ‘हलधर’देहरादून( उत्तराखंड)*************************************** हिन्दू नहीं मुस्लिम नहीं,सबका मकान है।कानून का है राज,यह हिन्दोस्तान है। क्यों नागरिक कानून पर गुमराह हो रहे ,कुछ वक्त के मारों को बस ये प्रावधान…

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उनको शिक़ायत हमसे

एल.सी.जैदिया 'जैदि'बीकानेर (राजस्थान) ************************************ बे'सबब करने लगे लोग अदावत हमसे,कल तक सीखी,जिसने शराफत हमसे। कोई खास नही दरख्व़ास्त उनसे हमारी,वो आज मगर क्यूं करते बगावत हमसे। कदम चार हैसियत से…

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जिंदगी की मोह माया

जसवीर सिंह ‘हलधर’देहरादून( उत्तराखंड)*************************************** रूप की सोलह कला में चाँद कब से ढल रहा है।और ऊपर आग का गोला युगों से जल रहा है। आदमी को भोगनी है सृष्टि की…

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