तुझे जी भर जिया जिंदगी

जसवीर सिंह ‘हलधर’देहरादून( उत्तराखंड)******************************************** आज तक मैंने तुझे जी भर जिया ए जिंदगी।हर रिवायत में इज़ाफ़ा ही किया ए जिंदगी। आदमी का काम है हर हाल में जीना तुझे,सोम रस…

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दोस्ती

बोधन राम निषाद ‘राज’ कबीरधाम (छत्तीसगढ़)******************************************* दोस्ती से बड़ा अब तराना नहीं।हाल जैसा भी हो तुम भुलाना नहीं। जिंदगी कब तलक बीत जाये यहाँ,याद रखना चलेगा बहाना नहीं। तुम सुदामा भले…

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मेरा कसूर क्या है ?

आचार्य गोपाल जी ‘आजाद अकेला बरबीघा वाले’शेखपुरा(बिहार)********************************************* मेरे दिल में बसता है हिंद महान तो मेरा कसूर क्या है ?मुझे मेरे देश में दिखती है जन्नत तो मेरा कसूर क्या…

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रुत सुहानी आ गयी

शंकरलाल जांगिड़ ‘शंकर दादाजी’रावतसर(राजस्थान) ****************************************** रचनाशिल्प:क़ाफ़िया-आनी/ रदीफ- आ गयी बहर २१२२,२१२२,२१२२,२१२ भाप दरिया से उठी अरु बन के पानी आ गयी,बूँद बारिश की धरा पे बन के रानी आ गयी। लहलहाये…

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मिल गया धोखा प्यार में

अनिल कसेर ‘उजाला’ राजनांदगांव(छत्तीसगढ़)************************************ वो ढूंढता रहा दरों-बाज़ार में,मैं खड़ा रहा उसके दरबार में। मन्नत ख़ुशी की गए थे मांगने,मिल गया धोखा हमें प्यार में। बरसती रही बरखा रात भर,हम बह…

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आन बसे क्यों नदी किनारे ?

जसवीर सिंह ‘हलधर’देहरादून( उत्तराखंड)******************************************** मिट्टी का घर कांप रहा है,पानी ढो-ढो थके पनारे।तीखी वर्षा के हमलों से,रोते पाये छान उसारे॥ दुश्मन दिखती तेज हवाएं,बरखा अब दहशत फैलाये,धरती पर पानी ही…

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अपना-पराया

रेणू अग्रवालहैदराबाद(तेलंगाना)************************************ कौन अपना है कौन पराया।कोई ये कभी जान न पाया। मुहँ के सामने मीठी बातें,पीठ पर ख़ंजर चलाया। सुबूत दे तो कैसे दें ख़ुदा,इन झूठों ने मुझे फँसाया।…

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हमसे मोहब्बत नहीं है

रेणू अग्रवालहैदराबाद(तेलंगाना)************************************ किसी को किसी के लिये फुरसत नहीं है।हमें भी बातें करने की तो आदत नहीं है। तन्हाई में गुज़र गये सालों पर साल कई,किसी अपने को हमसे मोहब्बत…

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मुझे मत यूँ सताओ तुम

शंकरलाल जांगिड़ ‘शंकर दादाजी’रावतसर(राजस्थान) ****************************************** रचनाशिल्प:क़ाफ़िया-आओ,रदीफ-तुम, बहर १२२२,१२२२,१२२२,१२२२ मिरे जज़्बात को समझो मुझे मत यूँ सताओ तुम,रहो मुझसे ख़फ़ा लेकिन न मुझसे दूर जाओ तुम। गुज़ारी साथ हमने ज़िन्दगी वादे किये…

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खुद को समझाऊँ कैसे ?

अनिल कसेर ‘उजाला’ राजनांदगांव(छत्तीसगढ़)************************************ दर्द दिल का बताऊँ कैसे,रूठे यार को मनाऊँ कैसे। मोहब्बत हो गई है उनसे,एहसास ये दिलाऊँ कैसे। बिखर गए रिश्ते मोती से,माला एक बनाऊँ कैसे। तोड़ दिया…

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