शिव-वन्दना

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश)******************************************* देवाधिदेव हे महादेव!, हे शिवशंकर त्रिपुरारी।हे आशुतोष! हे गौरीपति!, प्रभु! विनती सुनो हमारी॥ हे शिवशंकर! हे परम सत्य!,तुम हो जग के रखवाले,तुम हो कल्याणक परम ताप,अब…

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ज्ञान का प्रबंध चाहिए…

कवि योगेन्द्र पांडेयदेवरिया (उत्तरप्रदेश)***************************************** साथ जो निभाए, साथी बन सुख-दु:ख में,मित्रता का सच्चा कोई, अनुबंध चाहिएमधुर-मधुर वाणी, से जो मन मोह ले वो,प्रेम की सुधा में डूबा, मकरंद चाहिए। नित…

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मानवता सबसे बड़ा धर्म

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश)******************************************* मानवता को जब मानोगे, तब जीने का मान है।मानवता है धर्म बड़ा,मिलता जिससे यशगान है॥ जाति-पाँति में क्या रक्खा है, ये बेमानी बातें हैं,मानव-मानव एक बराबर,…

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कहती है खुदाई…

हीरा सिंह चाहिल ‘बिल्ले’बिलासपुर (छत्तीसगढ़)********************************************* कहती है खुदाई बन्दों से, सरहद न बनाओ जीवन में।फिर दूर गगन जैसी सबकी, जन्नत भी बनेगी हर मन में॥ मन एक सितारा खुद बनकर,…

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मेरा भारत

बोधन राम निषाद ‘राज’ कबीरधाम (छत्तीसगढ़)****************************************************** मेरा भारत सुन्दर भारत,पावन देश महान है।याद करो वीरों की गाथा,लाखों तन कुर्बान है॥ आओ हम सब करें वंदना,भारत माँ की आन की।श्रद्धा से हम…

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अपना स्वयं सुधारक बन

डॉ.एन.के. सेठीबांदीकुई (राजस्थान) ********************************************* जीवन में स्वानुशासित रहें,शुद्ध रखें अपना तन-मन।करें न कोई काम गलत,अपना स्वयं सुधारक बन॥ आत्म निरीक्षण करें स्वयं का,दोषों का हम शमन करें।पर में अवगुण दोष…

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मंजुल ऋतु वधु-सी आयी…

ममता तिवारी ‘ममता’जांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)************************************** मंद पवन हिंडोले में,सिंदूरी सी गोले मेंरख उमंग भर मंजूषा,मन भर आंनद तोले में।चलती हौले अलसायी,मंजुल ऋतु वधु-सी आयी…॥ छू हर हृदय हर्षाती,छुई-मुई-सी शर्मातीआम्र मंजरी श्रंगारित,टेशू अंजुल…

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लक्ष्य न पूरा हुआ सृजन का

विजयलक्ष्मी विभा इलाहाबाद(उत्तरप्रदेश)************************************ हाय मृत्यु तुम निकट न आओ,लक्ष्य न पूरा हुआ सृजन का। इसीलिये लिखती हूँ मैं तो,जीने का कुछ समय बढ़ा लूंजितने वर्ष घटे जीवन के,उतने इसमें गीत मिला…

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जीवन पथ

आशा आजाद`कृतिकोरबा (छत्तीसगढ़)**************************** जीवन पथ ही समर भूमि है, पार स्वयं कर लो।उलझन से है आप निकलना, गाँठ बाँध धर लो॥ हर क्षण नित्य परीक्षा लेता, कष्ट बहुत मिलता,जब करता…

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रात की आयु कुछ ढल गई…

विजयलक्ष्मी विभा इलाहाबाद(उत्तरप्रदेश)************************************ दीप में वर्तिका जल गई।रात की आयु कुछ ढल गई॥ कुछ अँधेरे में ही कट गई,दीप की ज्योति में कुछ कटेगीरात जीवन की साथी नहीं,देखते-देखते पौ फटेगी।है प्रकृति…

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