अमर रहे गणतंत्र हमारा

बोधन राम निषाद ‘राज’ कबीरधाम (छत्तीसगढ़)************************************ सम्मान अपना तिरंगा.... अमर रहे गणतंत्र हमारा,जन-गण-मन का नारा है।आसमान पर देख तिरंगा,विश्व गगन का तारा है॥ सदियों से हम ठोकर खाएँ,मिली आज आजादी ये।चलो…

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दुनिया एक मुसाफिर खाना

शंकरलाल जांगिड़ ‘शंकर दादाजी’रावतसर(राजस्थान) ****************************************** रचनाशिल्प:मात्रा भार १६+१४=३० (ताटक छंद आधारित) किस पर तू इतराए प्राणी, तेरा है नहिं मेरा है,दुनिया एक मुसाफ़िर खाना, केवल रैन बसेरा है। फँसा रहेगा मोह…

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कच्चे धागों में बँधता है प्यार यहाँ

बोधन राम निषाद ‘राज’ कबीरधाम (छत्तीसगढ़)**************************************** रक्षा बंधन विशेष.... बचपन की यादों में खोई,घर-आँगन फुलवारी में।खेल-खिलौनों में दिन गुजरा,गुड़ियों की तैयारी में॥अब तो पिय की हुई सहेली,उनसे ही श्रृंगार यहाँ।कच्चे धागों…

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डोरी संग रिश्तों का अहसास

विनोद सोनगीर ‘कवि विनोद विनम्र’इन्दौर(मध्यप्रदेश)************************************* रक्षाबंधन विशेष.... कितना अच्छा कितना प्यारा लगता यह त्यौहार है,सभी भाई और बहनों को बहुत भाता यह त्यौहार है। सावन मास की शुक्ल पूर्णिमा को…

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बहना की पुकार

शंकरलाल जांगिड़ ‘शंकर दादाजी’रावतसर(राजस्थान) ****************************************** रक्षाबंधन विशेष.... रचना शिल्प:मात्रा भार १६+१२=२८ राखी लिये हाथ में बहना, भैया तुम्हें पुकारे।ओ माँ जाये भाई आजा, बहना पंथ निहारे॥ बरसों बीत गये हैं भैया,…

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आजादी का अमृत महोत्सव मनाएँगे

बोधन राम निषाद ‘राज’ कबीरधाम (छत्तीसगढ़)**************************************** भारत की यह शान तिरंगा,हर घर में फहराएँगे।देशभक्ति की अविरल धारा,जन मन हृदय बहाएँगे॥ प्राणों से भी प्यारा भारत,कर्म भूमि यह वीरों की।लाख सुतों की…

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बनें इन्सान

हीरा सिंह चाहिल ‘बिल्ले’बिलासपुर (छत्तीसगढ़) ********************************************* रचनाशिल्प:१२२२ १२२२ १२२२ १२२२ बनें इन्सान हम सब तो, सजेगी देन दाता की।भले इन्सान बनकर ही, मिलेगी देन दाता की॥ सुहानी सृष्टि रचना में,…

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सावन है आया

शंकरलाल जांगिड़ ‘शंकर दादाजी’रावतसर(राजस्थान) ****************************************** रचनाशिल्प:१६-१२= २८ मात्रा कुल नभ में घिरी घटाएँ काली अब सावन है आया।रिमझिम बारिश की बूँदों ने तन-मन है हर्षाया॥ जब भी गिरे झमाझम पानी सरगम-सी…

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देवाधिदेव महादेव

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश) ******************************************* औघड़दानी,हे त्रिपुरारी!, तुम प्रामाणिक स्वमेव।पशुपति हो तुम,करुणा मूरत, हे देवों! के देव॥ तुम फलदायी,सबके स्वामी,तुम हो दयानिधानजीवन महके हर पल मेरा,दो ऐसा वरदान।आदिपुरुष तुम,पूरणकर्ता, शिव,शंकर…

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भीगी पलकें सुना रही कहानी

बोधन राम निषाद ‘राज’ कबीरधाम (छत्तीसगढ़)******************************************* भीगी पलकें सुना रही है,एक अनकही मौन कहानी।आँखों में शबनम की बूँदें,लगती प्यारी देख सुहानी॥ सपनों का अंबार लगा है,चैन नहीं मिलता है इनको।खोई रहती…

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