वेदना

डॉ.धारा बल्लभ पाण्डेय’आलोक’अल्मोड़ा(उत्तराखंड) *************************************** रचनाशिल्प:सार छंद आधारित,२८मात्रा, १६-१२ पर यति,पदांत-२२ विरह वेदना की पीड़ा सब,नैनों में भर आती।कहाँ छिपेगी हृदय वेदना,रो-रोकर कह जाती॥ कौन समझता व्यथा किसी की,दूजे के अंतर…

0 Comments

है एक सहेली कुटिया में

विजयलक्ष्मी विभा इलाहाबाद(उत्तरप्रदेश)************************************ सब अपनी-अपनी राह गये,मैं हुई अकेली कुटिया में। बेटे सरकारी नौकर हैं,बेटी हो गई सासरे कीसब पास-पड़ोसी ऐंठे हैं,क्या आशा करूं आसरे की।कुटिया ने ही देखी मेरी,जो पीड़ा…

0 Comments

हिंद देश की हिंदी भाषा

आशा आजाद`कृति`कोरबा (छत्तीसगढ़) ******************************************* हिंद देश की हिंदी भाषा,जन-जन का आधार है।मुखरित होता है जब हिय से,दे सुंदर सत्कार है॥ शोभित होती मुख से जिनके,हिंदी भाषा शान से,मान-प्रतिष्ठा मिले सदा…

0 Comments

जय हिन्दी

विजयलक्ष्मी विभा इलाहाबाद(उत्तरप्रदेश)************************************ अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस विशेष... शिशु क्या जाने,उसका तुझसे,कैसा नाता है।पर मुख पर पहला अक्षर,क्यों तेरा आता है॥ जन्म लिया धरती पर रोया,माँ-अम्मा कह करतू ही बतला,क्यों आया यह,अनजाना…

0 Comments

मातृभाषा हिन्दी

डॉ. गायत्री शर्मा’प्रीत’कोरबा(छत्तीसगढ़)******************************************* अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस विशेष.... लेखक कवि की लेखनी का हिंदी ही तो गान है।हिंदी हमारी चेतना,हिंदी हमारी शान है॥ सरगम के सुर में सज रहे,और से रहे…

0 Comments

जीवन में वरदान प्रेम

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश) ******************************************* जीवन में वरदान प्रेम है,है उजली इक आशा।अंतर्मन में नेह समाया,नहीं देह की भाषा॥ लिये समर्पण,त्याग औ’ निष्ठा,भाव सुहाने प्रमुदित हैं।प्रेम को जिसने पूजा,समझा,वह तो…

0 Comments

मतवाला बसंत

शंकरलाल जांगिड़ ‘शंकर दादाजी’रावतसर(राजस्थान) ****************************************** बसंत है आया रंगीला बसंत है आया।सरस सुहावन अति मनभावन उर आनंद छाया॥ स्वागत है ऋतुराज पधारे रँग गुलाल उड़ाओ,झाँझर,चँग,मृदँग बजाओ झूमो नाचो गाओ।नृत्य करत रति…

0 Comments

यों बिछड़कर कहाँ सो गए ?

डॉ.धारा बल्लभ पाण्डेय’आलोक’अल्मोड़ा(उत्तराखंड) *************************************** सुरों की अमर ‘लता’ विशेष-श्रद्धांजलि…. यों बिछड़कर कहाँ सो गए।तुम न जाने कहाँ खो गए॥ गीतों से जग को सजाया,सुर-लय से मधुमय बनाया।बिन बताए विदा हो…

0 Comments

तुम गीतों का विषय हो गईं

विजयलक्ष्मी विभा इलाहाबाद(उत्तरप्रदेश)************************************ सुरों की अमर ‘लता’ विशेष-श्रद्धांजलि…. गाते-गाते गीत सदा ही,तुम गीतों का विषय हो गईं।स्वर साम्राग्यी अमर कोकिला,किस दुनिया में विलय हो गई॥ मैंने तुम पर गीत लिखा जोदीदी…

0 Comments

साथ छूट जाते हैं…

डॉ. गायत्री शर्मा’प्रीत’कोरबा(छत्तीसगढ़)******************************************* सुरों की अमर ‘लता’ विशेष-श्रद्धांजलि…. धीरज का बांध नहीं,तार टूट जाते हैं।सुर मलिका से हमारे,साथ छूट जाते हैं॥ शारदा साक्षात हुई थी,बन बैठी साधिका,सुर के श्रृंगार सजे,वह…

0 Comments