विधवा विवाह:सामाजिक मान्यता मिले, यह धर्म-शास्त्र विरोधी नहीं

अमल श्रीवास्तव बिलासपुर(छत्तीसगढ़) *********************************** ईश्वर चन्द्र विद्यासागर जी के अथक प्रयासों के फलस्वरूप भारत में १८५६ में विधवा (कल्याणी) विवाह को कानूनी मान्यता तो मिल गई है, पंरतु समाज में अभी…

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सच्चा साहित्यकार वही, जो डरे बिना राष्ट्र निर्माण में योगदान दे

राधा गोयलनई दिल्ली****************************************** साहित्यकार देश के निर्माण में सबसे अधिक सहायक होता है। उसके कंधों पर बहुत बड़ी जिम्मेदारी होती है। उसकी कलम बहुत कुछ कर सकती है। वह चाहे…

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राकांपा की फूट से विपक्षी एकता को झटका

ललित गर्गदिल्ली************************************** वर्ष २०२४ के चुनाव से पूर्व भारतीय राजनीति के अनेक गुणा-भाग और जोड़-तोड़ भरे दृश्य उभरेंगे, महाराष्ट्र में ताजा राजनीतिक घटनाक्रम को देखते हुए तो ऐसा ही लगता…

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‘गुरु’ नहीं, तो जीवन शुरू नहीं

डॉ.अरविन्द जैनभोपाल(मध्यप्रदेश)******************************************* गुरु पूर्णिमा विशेष... 'गुरु पूर्णिमा' के दिन को जैन धर्म के अनुयायियों द्वारा भी काफी धूम-धाम के साथ मनाया जाता है। जैन धर्म में गुरु पूर्णिमा को लेकर…

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सभी के साथ धर्म से परे समान व्यवहार जरूरी

गोपाल मोहन मिश्रदरभंगा (बिहार)***************************************** समान नागरिक संहिता... प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पहली बार समान नागरिक संहिता (यूनिफॉर्म सिविल कोड) पर खुलकर बात रखी और इससे अंदाजा लगाया जा रहा है…

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कितना खोजें इतिहास…

शशि दीपक कपूरमुंबई (महाराष्ट्र)************************************* नई संसद में भारत के पौराणिक नक्शे को देख जिज्ञासा हुई, क्या सच में ! हमारे भारतवर्ष की सीमाएं आदिकाल से ही इतनी विस्तृत फैली हुई…

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११वीं-१२वीं में २ भारतीय भाषाएं जरूर पढ़ाई जाएँ

प्रेमपाल शर्मा********************************* एनसीईआरटी का स्वागत... दिल्ली और उसके आसपास नोएडा, गाजियाबाद के ९० फीसदी निजी उर्फ पब्लिक विद्यालयों में ११वीं १२वीं में हिंदी विषय नहीं पढ़ाया जाता। विज्ञान (पीसीएम) के…

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क्यों आवश्यक है समान नागरिक संहिता ?

ललित गर्गदिल्ली************************************** आजादी के अमृतकाल में समानता की स्थापना के लिए अपूर्व वातावरण बन रहा है, इसके लिए वर्तमान में समान नागरिक कानून की चर्चा बहुत ज्यादा है। यह भारत…

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भारतीय समाज, हमारी भाषाएँ और चिंता की लकीरें…

डॉ. रामवृक्ष सिंहलखनऊ (उप्र)******************************* भारतीय समाज को हर काम के लिए छोटा रास्ता चाहिए। मेहनत न पड़े। लाभ अधिक हो। इसीलिए हम लोग सम्यक श्रम भी नहीं करते। उधर अंग्रेजी…

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अक्ल का अजीर्ण

डॉ.अरविन्द जैनभोपाल(मध्यप्रदेश)******************************************* 'आदिपुरूष'.... जैसे एक मन दूध में २५० ग्राम दही डाल देने से पूरा दूध फट जाता है, खीर को यदि हींग के बर्तन में रख दिया जाए तो…

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