जननी बिन जीवन निरर्थक
प्रो. लक्ष्मी यादवमुम्बई (महाराष्ट्र)**************************************** माँ बिन…! 'आती है तो आए पथ में सौ बाधाएं,तू मेरे माथे पर माँ, आशीर्वाद का टीका है।'माँ का आशीर्वाद और पिता का प्यार जिसके साथ…
प्रो. लक्ष्मी यादवमुम्बई (महाराष्ट्र)**************************************** माँ बिन…! 'आती है तो आए पथ में सौ बाधाएं,तू मेरे माथे पर माँ, आशीर्वाद का टीका है।'माँ का आशीर्वाद और पिता का प्यार जिसके साथ…
गोवर्धन दास बिन्नाणी ‘राजा बाबू’बीकानेर(राजस्थान)********************************************* माँ बिन…! दुनिया में ऐसा कोई बिरला ही होगा, जो अपनी जननी को नमन न करता हो। कारण भी स्पष्ट है अर्थात बिना माँ के वह…
ललित गर्गदिल्ली************************************** माँ बिन…! 'मातृ दिवस' का मतलब होता है माँ का दिन। पूरी दुनिया में मई माह के दूसरे रविवार को 'मातृ दिवस' मनाया जाता है। मातृ दिवस मनाने…
अमल श्रीवास्तव बिलासपुर(छत्तीसगढ़) *********************************** सनातन संस्कृति के २ महत्वपूर्ण प्रतीक माने जाते हैं, एक 'यज्ञोपवीत' और दूसरी 'शिखा।'वास्तव में सनातन संस्कृति के हर छोटे-बड़े प्रतीक या हर छोटी-बड़ी बातें अत्यन्त महत्वपूर्ण…
ललित गर्गदिल्ली************************************** अंतर्राष्ट्रीय नर्स दिवस (१२ मई)विशेष... एक चिकित्सक और रोगी के बीच में सूत्रधार की भूमिका निभाते हुए एक नर्स उसे स्वस्थ ही नहीं करती, बल्कि तमाम तरह की…
डॉ.अरविन्द जैनभोपाल(मध्यप्रदेश)***************************************************** सरोकार... कभी-कभी यह विचार आता है कि, आज से ५० साल पहले हमारे जमाने में टी.वी, मोबाइल या इस तरह के सामाजिक सन्देश (सोशल मीडिया) का चलन होता…
ललित गर्गदिल्ली************************************** अच्छे स्वास्थ्य, मानसिक शांति एवं समग्र विकास के लिए हास्य जरूरी है। इसीलिए 'विश्व हास्य दिवस' विश्वभर में मई महीने में मनाया जाता है। आज के तनाव, अशांत,…
डॉ.अरविन्द जैनभोपाल(मध्यप्रदेश)***************************************************** भारत देश में शादी पाणिग्रहण को एक महत्वपूर्ण संस्कार माना जाता है या होता है। ऐसे में समलैंगिक शादी पशुता की निशानी है। आज विजातिय शादी, उसके बाद…
हेमराज ठाकुरमंडी (हिमाचल प्रदेश)***************************************** सामाजिक विषमताओं और विकृतियों को लेकर चिन्तित एवं उद्विग्न मानस ने जब मुझे रात्रि के तीसरे पहर कचोटा तो मुझसे रहा नहीं गया। एकाएक आँखें खुली…
प्रो. लक्ष्मी यादवमुम्बई (महाराष्ट्र)**************************************** जीवन के दो पहिए हैं सुख और दु:ख। सुख का अर्थ है खुशी। प्रत्येक मनुष्य के जीवन में अलग-अलग तरह की खुशियाँ होती है। कुछ अधिक…