बरसात
मदन गोपाल शाक्य ‘प्रकाश’फर्रुखाबाद (उत्तर प्रदेश)************************************** बनके बदली बरसती,घनघोर चहुँओर।दादुर दौड़े घूमते,घिरे घटा घनघोर॥ प्यासी धरा पुकारती,बरसो दीनदयाल।भीगे दामन भूमि का,हरियाली तत्काल॥ सारंग ने सारंग दियो,सारंग बरसो आए।सारंग जो मुख…