तेरी जय हो माँ

हेमराज ठाकुरमंडी (हिमाचल प्रदेश)****************************************** तूने अपना नूर गंवाया,तब जा के हमें सृजायापीड़ा सह कर हमें उत्पाया,अपना दर्द सब अंदर छुपाया।तेरी जय हो माँ। मल-मूत्र से हमें बचाया,अपने मुँह का हमें…

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देव तुल्य भगवान

बोधन राम निषाद ‘राज’ कबीरधाम (छत्तीसगढ़)********************************** माना है पितु-मातु को, देव तुल्य भगवान।इनके चरणों में सदा, करते हैं हम ध्यान॥करते हैं हम ध्यान, सुबह नित शीष झुकाते।मन वांछित वरदान, इन्हें पूजा…

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निगल रही मँहगाई

डॉ.रामकुमार चतुर्वेदीसिवनी(मध्यप्रदेश)**************************************** फॅंसा आज मॅंझधार लोकमत,तम मँहगाई जंजाल मेंहाहाकार मचा जनजीवन,जनमानस खस्ताहाल में। नेता जेता विश्व विजेता,पद अहंकार मधुशाल मेंसत्ताधारी पा जिनके मत,क्षुधार्थ प्यास बदहाल में। फुफकारती मँहगाई नित,बन हालाहल…

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सूखे दरख़्त…

एम.एल. नत्थानीरायपुर(छत्तीसगढ़)*************************************** उम्र चली गुजरने को है,ख्वाब भी संवरने को हैरिश्तों को निभाने को है,यादगार लम्हें जाने को है। गुजरते दिनों का नाम है,बस जिंदगी का पैगाम हैस्याह-सी धुंधली शाम…

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हे बुद्ध

संजय एम. वासनिकमुम्बई (महाराष्ट्र)************************************* ना तुम ईश्वर थे,ना ईश्वर के पुत्रऔरना ही किसी ईश्वर द्वारा,इस धरती पर भेजे गएकोई अलौकिक दूत…तुम तो थे एक इंसान…। जिसने इंसान को इंसान से,जोड़े…

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मैं

बबीता प्रजापति झाँसी (उत्तरप्रदेश) ****************************************** अलसाए हुए से नैनों मेंभोर हूँ मैं,हृदय के तार में बजताशोर हूँ मैं। कभी पैरों में बंधीपायल-सी,कभी बहती नदीउस ओर हूँ मैं। कभी माला में,मोती-सी।कभी न…

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स्वयं को पूजनीय बनाओ

मुकेश कुमार मोदीबीकानेर (राजस्थान)************************************************** रहने मत दो अवगुण का, जीवन में एक भी अंश,पवित्रता अपनाकर बनो, तुम मानसरोवर के हंस। गुण जागे जब जीवन में, अवगुण ना रह जाएगा,रोने का…

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हो गीत का फेरा मेरे घर

विजयलक्ष्मी विभा इलाहाबाद(उत्तरप्रदेश)************************************ यह नियम नियति का है कैसा,है जगत का डेरा मेरे घर।ये भाव कहीं जाकर विचरें,हो गीत का फेरा मेरे घर॥ सूरज से नाता मैं न रखूं,पर किरणें बनी…

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श्रीराम

डॉ. अनिल कुमार बाजपेयीजबलपुर (मध्यप्रदेश)*********************************** बसते कण-कण रामराम नाम अभिराम,चरणों में सब धामपूरे हों सब काम। विष्णु के रूप रामसुबह की धूप राम,कितने अनूप रामश्याम स्वरूप राम। लक्ष्मण के प्रिय…

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मैं क्यों न गाऊं ?

संदीप धीमान चमोली (उत्तराखंड)********************************** हर पल एक जीवन छूट रहासंग जन्म मृत्यु का ख़ूब रहा,बढ़ रहे क़दम शिखर कोमृत्यु आने पर मनुष रुठ रहा! क्यों न हो शीर्ष का अगत्युजीवन शिखर…

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