नदी…करती है कल्याण

दिनेश चन्द्र प्रसाद ‘दीनेश’कलकत्ता (पश्चिम बंगाल)******************************************* नदी,पहाड़ों से टकराते हुएपत्थरों से लड़ते हुए,बिना रोक-टोक आगे बढ़ते हुए,कभी टेढ़े, कभी सीधे,कभी मुड़कर,कभी गिरकर,निरंतर चलती रहती है। देने सबको जीवन दान,आओ हम…

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मेरे पिता-मेरा साया

ताराचन्द वर्मा ‘डाबला’अलवर(राजस्थान)*************************************** जीना जैसे पिता... उनकी खामोशी में भी,मेरा भविष्य छिपा हैमेरे पिता मेरे लिए,ईश्वर की अनुपम कृपा है। मेरा साया बनकर,हमेशा मेरे साथ रहते हैंकैसी भी हो दुःख-तकलीफ़,वो…

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मेरी प्रेरणा

डॉ. कुमारी कुन्दनपटना(बिहार)****************************** जीना जैसे पिता... पिता जो मेरी प्रेरणा थे,वही थे मेरे सम्बल,सहारेउसी ने तो जीना सिखाया,अब जीना, जैसे पिता हमारे। आए कोई मुसीबत सिर पर,बिना बोले जो समझ…

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पहली बारिश

संजय एम. वासनिकमुम्बई (महाराष्ट्र)************************************* शाम होने को आई और,सूरज भी पश्चिम की तरफ़झुकता चला जा रहा,अंधेरा होने के पहले हीअंधेरे का अहसास हो रहा। काले घनघोर बादल छाए,ऐसे बिजली कड़क…

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पूछ रहा हूँ स्वयं से…

शशि दीपक कपूरमुंबई (महाराष्ट्र)************************************* मुझे याद है!जब मैंने पहली बार फूलों को देखा थातब वे बड़े कोमल, संजीदे से थे,मैं समझ गया, नया हूँ इनके लिए। मुझे याद है!जब मैं…

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मेरी कोशिश, पिता जैसा जीना

संजय सिंह ‘चन्दन’धनबाद (झारखंड )******************************** पिता का दौर कुछ और था,मेरी भाग-दौड़ कुछ और हैकोशिश यही है पिता जैसा जीऊँ,जियो तो वैसे, जैसे पिता का जीना।न दारू न सिगरेट, दूध…

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चमकते रहो

कवि योगेन्द्र पांडेयदेवरिया (उत्तरप्रदेश)***************************************** चाँद-तारों जैसा चमकते रहो,फूल कलियों-सा तुम महकते रहो। राह में लाख बाधाएं आयें मगर,मंज़िलों की तरफ़ यूँ ही बढ़ते रहो। मन का दर्पण निर्मल तुम्हारा रहे,देखकर…

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पिसता रहा है आम इंसान

राजू महतो ‘राजूराज झारखण्डी’धनबाद (झारखण्ड) ****************************************** मैं दिन-रात परिश्रम करता,संतुष्ट रहता जो भी मिलताअधिक खुशी की नहीं कामना,जाना है दु:ख में भी खुशी से जीना। मैं हूँ बहुत ही सीधा-सादा,छल प्रपंच…

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माँ को प्रभु समझो

हीरा सिंह चाहिल ‘बिल्ले’बिलासपुर (छत्तीसगढ़)********************************************* मंदिर में सजती प्रभु की मूरत,जीवन में सजती माॅं की सीरत।जग में रचती है माॅं जीवन को,पहचानो तो सब माॅं के मन को॥ प्रभु को…

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सुनो जनार्दन

हेमराज ठाकुरमंडी (हिमाचल प्रदेश)***************************************** धरो फिर से तुम मोहिनी रूप हरि,मांस-मदिरा भक्षी असुर वंचित होसरहदी माटी का पावन अमृत कहीं,अधम-असुर खेमें में न संचित हो। उससे पहले कलश छीन कर,सिर-धड़…

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