नदी…करती है कल्याण
दिनेश चन्द्र प्रसाद ‘दीनेश’कलकत्ता (पश्चिम बंगाल)******************************************* नदी,पहाड़ों से टकराते हुएपत्थरों से लड़ते हुए,बिना रोक-टोक आगे बढ़ते हुए,कभी टेढ़े, कभी सीधे,कभी मुड़कर,कभी गिरकर,निरंतर चलती रहती है। देने सबको जीवन दान,आओ हम…