जगत के रक्षक
हीरा सिंह चाहिल ‘बिल्ले’बिलासपुर (छत्तीसगढ़)********************************************* रचनाशिल्प:५-७-५ अक्षर के क्रम में ३ पंक्तियां प्रति पद... भगवान हैं,जगत के रक्षककण-कण में। रूप बदलें,प्रभु रक्षक बनक्षण-क्षण में। पहचानना,मुश्किल है उनकोसबके लिए। ईश्वर रहें,मात-पिता…