अमृत की तलाश…

रत्ना बापुलीलखनऊ (उत्तरप्रदेश)***************************************** मुझे नीर की प्यास नहीं, मुझे अमृत की तलाश है,स्वाति नक्षत्र की बूँद सम, सीप अंक की तलाश है। तुम ढूँढो फूलों में खुशी, मुझे सौरभ की…

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कोई रोक सके तो रोक ले

दिनेश चन्द्र प्रसाद ‘दीनेश’कलकत्ता (पश्चिम बंगाल)******************************************* विजयादशमी विशेष... मैं जा रहा रावण की शरण में,कोई रोक सके तो रोक लेरावण को तो राम ने मार दिया था,फिर क्यों उसे तुम…

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शक्ति, भक्ति और दिखावा

डॉ.आशा आजाद ‘कृति’कोरबा (छत्तीसगढ़)**************************************** शक्ति, भक्ति और दिखावा... जगह-जगह है आज दिखावा।भक्ति भाव का करते दावा॥मन में कितना द्वैष समाया।सच्चा मन कैसे कहलाया॥ मन धीरज हिय कैसे आए।निंदा में जब…

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गोष्ठी में हुई शानदार काव्य प्रस्तुति

जबलपुर (मप्र)। सशक्त हस्ताक्षर की कवि गोष्ठी २१ अक्टूबर को हुई। संस्थापक गणेश श्रीवास्तव 'प्यासा' ने सभी का अभिनंदन किया। इसमें सभी ने शानदार काव्य प्रस्तुति दी।गोष्ठी में सरस्वती वंदना…

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रावण फूंकने को धधकाएँ शोला

संजय सिंह ‘चन्दन’धनबाद (झारखंड )******************************** विजयादशमी विशेष... चलो, चलें दशहरा हम सब आज मनाएँ,झोंक आग दशानन को विजय पर्व मनाएँऐतिहासिक इस महापर्व का मानवीय भाव जगाएँ,असत्य पर सत्य विजय का…

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अपने-आप

डोली शाहहैलाकंदी (असम)************************************** आज मैं आँगन में बैठे नदी की लहरों को यूँ ही निहार रही थी। उन्हें देखकर ऐसा एहसास हो रहा था कि, कितना कुछ झेलती हैं ये…

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मोबाइल और जिंदगी

संजय एम. वासनिकमुम्बई (महाराष्ट्र)************************************* आज के परिवेश में मोबाइल हमारे दैनंदिन जीवन का एक अभिन्न अंग बन गया है, अगर साथ में मोबाइल नहीं रहा तो कई लोग परेशान हो…

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प्रेम का अद्भुत समीकरण ‘दबे पाँव चुपचाप’

डॉ.पूजा हेमकुमार अलापुरिया ‘हेमाक्ष’मुंबई(महाराष्ट्र) ****************************************** समीक्षा.... प्रेम! मनुष्य की सर्वश्रेष्ठ अभिव्यक्ति…भावनाओं का वो प्रदर्शन है, जहाँ भाषा भी गौंण पड़ जाती है। यही कारण है कि, पारिवारिक, धार्मिक, सामाजिक, राजनीतिक…

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मत बनना तू बेरहम

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश)******************************************* दुनिया कितनी बेरहम, दया-धर्म से दूर।मानवता ने खो दिया, अपना सारा नूर॥ जो होता है बेरहम, पशु के जैसा जान।ऐसे मानव को कभी, नहीं मिले सम्मान॥…

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चंचल मनवा

डॉ. कुमारी कुन्दनपटना(बिहार)****************************** मन के तो हैं पंख हजारों,मन पर लगा ना पहरा हैचंचल मनवा उड़ता-फिरता,एक जगह कब ठहरा है। बड़ा कठिन है वश में करना,ऋषि-मुनि ज्ञानी भी हार गएलाख…

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