‘आओ अंधेरों की बस्ती में प्रकाश की बात करें…’

कवि गोष्ठी... जहानाबाद (उप्र)। 'आओ अंधेरों की बस्ती में प्रकाश की बात करें, नफरत की दुनिया छोड़कर प्यार की बात करें।' उपरोक्त पंक्तियाँ हास्य-व्यंग्य एवं श्रृंगार रस के जाने-माने वरीय…

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‘विश्व हिन्दी सम्मेलन’ में प्रतिभाग हेतु सम्मानित

मेरठ (उप्र)। स्वामी विवेकानंद विश्वविद्यालय (मेरठ) के कुलपति डॉ. जी.के. थपलियाल ने डॉ. शोभा रतूड़ी को 'विश्व हिन्दी सम्मेलन' (फिजी) से प्रतिभाग कर लौटने पर सम्मानित किया। इस अवसर पर…

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४ हिंदी लघुकथाएं बंगला साहित्य में अनुवाद के लिए चयनित

पटना (बिहार)। पहली बार हिन्दी साहित्य से लघुकथाओं का चयन बंग्ला साहित्य में अनुवाद के लिए किया जाना हिन्दी साहित्य में सुखद अध्याय की शुरूआत है। विश्व हिन्दी लघुकथा संग्रह…

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प्रभु मूरत नारी

हीरा सिंह चाहिल ‘बिल्ले’बिलासपुर (छत्तीसगढ़)********************************************* नारी: मर्यादा,बलिदान, हौसले की मूरत... मर्यादा, बलिदान, हौंसले, की सूरत प्यारी,प्रभु मूरत नारी।दिखते नहिं भगवान उन्हीं की, तो सूरत न्यारी, प्रभु मूरत नारी॥ प्रभु ने…

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नीलगगन में रंग गुलाल

श्रीमती देवंती देवीधनबाद (झारखंड)******************************************* देवलोक से उड़ती आई है, धरा में हरी पीली गुलाल,सूर्यदेव भी चकित हो गए, देखकर गुलाल का धमाल। नीलगगन में उड़ रही अजब लाल लाल रंग…

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कितने ही रंग तुम…

बबीता प्रजापति ‘वाणी’झाँसी (उत्तरप्रदेश)****************************************** नारी:मर्यादा, बलिदान, हौंसले की मूरत... मुस्कराती हो तोबसंत संवार देती हो,कितने ही रंग तुमजीवन में उतार देती हो। शर्म-हया गहनाहै तुम्हाराशर्माती हो तो,हया के रंग उभार…

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रंग लगा दूं आज

दिनेश चन्द्र प्रसाद ‘दीनेश’कलकत्ता (पश्चिम बंगाल)******************************************* इस होली में तो चाहता हूँ मैं,तुमको रंग में पूरा ही भिगोना। अंग-अंग में रंग लगा दूं आज,भिगो दूं सब ही तुम्हारे साज। अधरों…

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रंगों से रंजित हृदय

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) ************************************************* होली है भज राम को, रंग हृदय घनश्याम।सत्यं शिव सुन्दर स्वयं, शिव मंगल सुखधाम॥खिले भक्ति हिय अरुणिमा, फागुन रंग बयार।पौरुष परहित पथ किरण, रिमझिम…

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नारी एकता बनाओ

श्रीमती देवंती देवीधनबाद (झारखंड)******************************************* कहो सखियों, क्यों महिला दिवस हम मनाते हैं ?जबकि नारी ही नारी की, दुश्मन बन जाते हैं। पुत्र की चाहत में, पुत्री को गर्भ में ही…

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सृजक नारी

अजय जैन ‘विकल्प’इंदौर(मध्यप्रदेश)****************************************** सृजक नारी,मुस्कान है सबकी-सबपे भारी। करे पालन,न अपमान करो-वही आँगन। मत डराओ,सम्मान की आकांक्षी-साथ निभाओ। कर्म ही नारी,रब जन्मा इससे-हाय अबला ! करिए पूजा,हर बात अप्रतिम-मिले ना…

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