काश! मैं अंधा होता….
कवि योगेन्द्र पांडेयदेवरिया (उत्तरप्रदेश)***************************************** काश! मैं अंधा होता तो,नहीं देख पाता इनकुटिल और हृदय से,गंदे इंसानों को। काश! मैं अंधा होता तोनहीं देख पाता समाज में,अभद्र परम्पराओं को। काश! मैं…