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धरती

आरती जैन
डूंगरपुर (राजस्थान)
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विश्व धरा दिवस स्पर्धा विशेष……………


धरा सुंदर कृति है,
होना है इस पर सतीl

धरा सुंदर रचना है,
पेड़ जिसके सजना हैl

कल-कल करती नदी बहती,
तो कभी पत्थरों का भार सहतीl

इस धरा पर ना कोई हो सीमा,
एक प्रेम रूपी संगीत चले धीमाl

धरा से बहता है जब झरना,
समझे तब पत्थर से आँसू बहनाl

धरा में छिपा प्रेम रूपी राग है,
नहीं छिपा छल का दाग हैl

हर जीव के लिए छिपी है दया,
खूबसूरत फूल बताते इसकी हयाl

धरा को मैं माँ कहती हूँ,
इसकी छांव में सुकून से रहती हूँl

एक शिकवा रहता है हर रोज,
बिना शिकवे के धरा सहती है बोझl

धरा को बनाकर देखो गुरू,
सफलता का होगा सफर शुरूl

धरा तुझे है मानव का नमन,
स्वार्थ के लिये नहीं करेंगे तेरा दमनll

 परिचय : श्रीमती आरती जैन की जन्म तारीख २४ नवम्बर १९९० तथा जन्म स्थली उदयपुर (राजस्थान) हैl आपका निवास स्थान डूंगरपुर (राजस्थान) में हैl आरती जैन ने एम.ए. सहित बी.एड. की शिक्षा भी ली हैl आपकी दृष्टि में लेखन का उद्देश्य सामाजिक बुराई को दूर करना हैl आपको लेखन के लिए हाल ही में सम्मान प्राप्त हुआ हैl अंग्रेजी में लेखन करने वाली आरती जैन की रचनाएं कई दैनिक पत्र-पत्रिकाओं में लगातार छप रही हैंl आप ब्लॉग पर भी लिखती हैंl

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