इनसे देख प्रभु को अपने

विजयलक्ष्मी विभा इलाहाबाद(उत्तरप्रदेश)************************************ ईश्वर और मेरी आस्था स्पर्धा विशेष….. इनसे देख प्रभु को अपने,देती हूंँ मैं तुझे नयन,जो तुझको भायें रे बंदे,कर ले उनका आज चयन॥इनसे तू कुछ भी देखेगा,सिर्फ दिखेगा…

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अनाहूत ही फिर आए तुम

विजयलक्ष्मी विभा इलाहाबाद(उत्तरप्रदेश)************************************ क्यों अतीत मेरे जीवन में,अनाहूत ही फिर आए तुमअपनी जीर्ण-शीर्णता लेकर,मेरे मानस पर छाए तुम। तुम तो उस दिन सूरज जैसे,दिन ढलते ही बीत गए थेऔर यहां मेरी…

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मंज़िल मिली मरण को

विजयलक्ष्मी विभा इलाहाबाद(उत्तरप्रदेश)************************************ पथ जीवन ने चला सदा पर,मंज़िल मिली मरण कोमार्ग थका बोझिल हो लेकिन,गौरव मिला चरण को। मैंने अपना रूप सँवारा,हर आभूषण तन पर धारासूरज-चाँद लगाये मुख पर,तोड़ा नभ…

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तुम प्रतिध्वनि उठाते हो

विजयलक्ष्मी विभा इलाहाबाद(उत्तरप्रदेश)************************************ विश्व सौहार्द दिवस स्पर्धा विशेष…. अगर मैं गीत गाती हूँ,तो तुम प्रतिध्वनि उठाते होतुम्हारी याद के गायन,तुम्हीं मुझको सुनाते हो। मुझे लगता कि तुमको भी,मेरी यादें सताती हैंइसी…

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पूरी सदी त्रासदी वाली

विजयलक्ष्मी विभा इलाहाबाद(उत्तरप्रदेश)************************************ पूरी सदी त्रासदी वाली,न होली न मनी दिवाली। सड़कों पर सन्नाटा छाया,कचरे की भी दिखी न ट्राली। बाज़ारों से फल गायब हैं,गायब जामुन काली-काली। लीची,आम,पपीता छोड़ो,अब सारी मंडी…

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वसंत झरा है

विजयलक्ष्मी विभा इलाहाबाद(उत्तरप्रदेश)************************************ वसंत पंचमी स्पर्धा विशेष ….. आँगन में वन बागन में गिरि कानन में अति हर्ष भरा है,कंज खिले रतनार हुए पतझार गया सरसाई धरा हैप्यार बढ़ा अभिसार बिना…

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अपमान नहीं होने देंगे

विजयलक्ष्मी विभा इलाहाबाद(उत्तरप्रदेश)************************************ हम भारत माँ के झंडे का,अपमान नहीं होने देंगे।उन कृषक वेश गद्दारों कासम्मान नहीं होने देंगे॥ यों धोखेबाज छली कपटी,हो सकता नहीं अन्नदाताऔरों को जीवन देने को,जो खुद…

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आओ ऐ गणतंत्र दिवस

विजयलक्ष्मी विभा इलाहाबाद(उत्तरप्रदेश)************************************ गणतंत्र दिवस स्पर्धा विशेष………. फिर पुकारती भारत माता,आओ ऐ गणतंत्र दिवसखेल दिखाओ फिर कुछ ऐसा,रोता मानव उठे विहँस। पुत्रों याद करो शुभ दिन जब,कटी गुलामी की बेणीमुझको भी…

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सोचा ना था

विजय लक्ष्मी राय 'विजया'*********************** काव्य संग्रह हम और तुम से सफर जिंदगी का होगा इतना आसां सोचा ना था,यूँ ही मिलोगे तुम औ दिल खो जाएगा सोचा ना था। निहारोगे…

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मेरे मन की

विजयलक्ष्मी विभा इलाहाबाद(उत्तरप्रदेश)************************************ काव्य संग्रह हम और तुम से सखी री,अब तक थी मैं पूरी।जब से मिलन हुआ प्रियतम से,तब से हुई अधूरी॥ आज हुये मन के दो टुकड़े,एक कहीं है,एक…

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