हिन्दुस्तान को दिल से अपनाओ

मोनिका शर्मामुंबई(महाराष्ट्र)********************************* ‘मैं और मेरा देश’ स्पर्धा विशेष…….. वीर रस से सींची यह कविताजो गाती आज़ादी की वाणी है,सिंधु घाटी सभ्यता है रचनाकार जिसकी-यह इस भारत की कहानी है। हिमालय…

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मैं नारी हूँ…

मोनिका शर्मामुंबई(महाराष्ट्र)********************************* यदि उसूलों की अस्मिता से मेरा सर गौरवान है,मैं नारी हूँ! मैंने अपना स्वाभिमान ओढ़ रखा है।प्रतिबंध का दायरा लांघा है मैंने अगर,मैं नारी हूँ! मैंने अपना अस्तित्व…

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तुम जिंदा रखना

मोनिका शर्मामुंबई(महाराष्ट्र)********************************* सपने उड़ान केबुलंद गीत गाते हैं,पर क्यों ज़मीन ढूँढ़ नहीं पाते…और आसमान चाहते हैं ? जो ध्येय का प्रतीक स्वयं बनआशा की किरणें जगाते हैं,क्यों कुछ सपने डगमगाए…

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मालिक हूँ

मोनिका शर्मामुंबई(महाराष्ट्र)********************************************************** `ऐ बंदे,क्या सोच रहा है ? क्या फिर कोई ख्याल तुझे नोच रहा है ? कहीं पीड़ा तुझे तो नहीं हो रही, कि यह श्वान तेरे इलाके में…

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माँ अवनि के दो पुत्र

मोनिका शर्मा मुंबई(महाराष्ट्र) ***************************************************************** निशा समय नित स्वरूप, गगन में राज कर रहे निशापति चाँदनी जगमगा रही चहुँ ओर, विश्राम कर रही प्रजा सभी। देख अपनी प्रजा कुशल, निशानृप थे…

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‘कोरोना’ को जल्द भगाना है

मोनिका शर्मा मुंबई(महाराष्ट्र) ***************************************************************** आया है भयंकर दौर, फैली है यह बीमारी जकड़ में जिसकी है पूरा विश्व, कहलाए वो 'महामारी।' 'कोरोना' है यह बीमारी, जिसने फैलाया है अपना जहर,…

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कलियुग

मोनिका शर्मा मुंबई(महाराष्ट्र) ***************************************************************** कलियुग, कौन जाने आखिर कैसा... यह कलियुग है आया ? जहाँ छत नहीं अब मजदूर की खातिर, न है कृषक को छाया। 'अन्नदाता' है वह कहलाता,…

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जरूरी है

मोनिका शर्मा मुंबई(महाराष्ट्र) ***************************************************************** मुकम्मल नहीं होती सबको खुशियाँ इसलिए दुखी रहना भी जरूरी है, दिन के उजाले के साथ-साथ... निशा का अंधकार भी जरूरी है। घमंड ज्यादा हो तो…

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हयात का सफ़र

मोनिका शर्मा मुंबई(महाराष्ट्र) ***************************************************************** हयात की शुरुआत तो आसान थी, क्योंकि बचपन बड़ा मासूम था जहाँ कागज़ की कश्ती जहाज थी, और अत्फ़ से बना आदिल आशियाना था। कलेवा कर…

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एक सैनिक..जाना जरूरी था..

मोनिका शर्मा मुंबई(महाराष्ट्र) ***************************************************************** आओ यारों,एक अफसाना सुनाऊँ एक विचित्र हयात का, एक घंटी जो उस दिन फोन पर बजी ले गई अपने साथ, जहाँ मेरी बेहद ज़्यादा एहतियाज थी।…

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