दीप जलाऊँ
बोधन राम निषाद ‘राज’ कबीरधाम (छत्तीसगढ़)************************************************************ (रचना शिल्प:१६/१४) दीप जलाकर इन हाथों से,किरण जहां में फैलाऊँ।चाँद सितारों को झुठलाकर,दूर निशा तम हर जाऊँ॥ रात कालिमा जब भी आए,उजियारा इनसे कर दूँ।गहन…