मन्द सुगन्ध महके
संदीप धीमान चमोली (उत्तराखंड)********************************** मन्द सुगन्ध,महके रात्रि गंध,खोल दे श्वांस जिसकी हो बंदहरसिंगार कहो,कहो परिजात,पुष्प विशिष्ट धरा मात्र है चंद। पड़ जाएं जो गल बन माला,सोलह श्रंगार पड़े आगे मंद,परिजात-सा ले…