सुनो कान्हा…
डॉ.सरला सिंह`स्निग्धा`दिल्ली************************************** सुनो कान्हा,नहीं चाहती मैं रिहाईतेरे दर से कभी,चाहती हूँ देखनादिन-रैन तुझे ही।माँगती हूँ ठिकाना,चरणों में तेरेचाहती हूँ सुनना,बांसुरी की धुन सदा।अरज छोटी-सी मेरी,सुन लो हे मेरे कान्हाचाहती हूँ…