सुनो कान्हा…

डॉ.सरला सिंह`स्निग्धा`दिल्ली************************************** सुनो कान्हा,नहीं चाहती मैं रिहाईतेरे दर से कभी,चाहती हूँ देखनादिन-रैन तुझे ही।माँगती हूँ ठिकाना,चरणों में तेरेचाहती हूँ सुनना,बांसुरी की धुन सदा।अरज छोटी-सी मेरी,सुन लो हे मेरे कान्हाचाहती हूँ…

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शब्दों का खेल

डॉ.सरला सिंह`स्निग्धा`दिल्ली************************************** बाबू जी,माँ का हाथ पकड़ कर बच्चों की तरह रोये जा रहे थे,-'बीनू की माँ मुझको छोड़ कर मत जाना। देखो तुम्हारे बिना मैं जिंदा नहीं रह पाऊँगा।'माँ…

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तेरे जाने से सभी खुश

डॉ.सरला सिंह`स्निग्धा`दिल्ली*********************************************** तेरे जाने से सभी हैं खुश हो रहे,सुन जाने वाले दो हजार बीस। बहुत रूलाया तूने हम सबको,तुम तो निकले पूरे चार सौ बीसl आना नहीं कोई नया…

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कारवां

डॉ.सरला सिंह दिल्ली *********************************************** कारवां ये चलता रहा, वक्त ये गुजरता गया। राह में हम खड़े ही रहे, बस पंथ निहारते रहे। मंजिलों की आस थी, मन में एक प्यास…

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बारिश

डॉ.सरला सिंह दिल्ली *********************************************** बारिश की बूंदों के मोती, नवजीवन बन बरस रहे। जन-जन की पीड़ा हरते, तप्त धरा हैं शीतल करते। झुक-झुक करते धन्यवाद, वृक्षों के समुदाय समस्त। नदियों…

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कठोर

डॉ.सरला सिंह दिल्ली *********************************************** मानव है कितना कठोर निर्दयी, दया नहीं आती है मौत पर भी। नहीं समझता पिता के जज्बात, कांधे पे बेटे के शव का बोझ भी। गाड़ियों…

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