अच्छा लगता है…

सविता सिंह दास सवितेजपुर(असम) ************************************************************************ सावन में थोड़ीबावरी बनना,अच्छा लगता हैपिस-पिस जाती,फिर आस मन कीतेरे उखड़े-उखड़ेस्वभाव से पिया।यूँ पिसकर भी,मेहंदी सम महकनाअच्छा लगता है।मन की सतहरेगिस्तान बनी,जेठ-आषाढ़ मेंतपती रह गईइच्छाएँ सारी।फिर…

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लांछन सह ना सकूँगा माई

सविता सिंह दास सवितेजपुर(असम) ************************************************************************ कामकाज बन्द,हो गया माईसुना है अब बहुत,दिनों तक सब बन्द रहेगादेश में ताला लगेगाlदिहाड़ी मेरी,गुजर-बसर माईअपने पेट पर,खींच कर गमछाबांध लूंगाlदो घूंट पानी से,भूख-प्यास सबमिटा लूंगा…

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सशक्त जो होती है स्त्री

सविता सिंह दास सवि तेजपुर(असम) ************************************************************************* तोड़ देती है, क्षमताओं की सारी सीमाएँ, अपने पर जब आती है, वक्ष में जीवन कंधों पर ज़िम्मेदारी, फिर स्त्री,स्त्री नहीं `वसुधा` बन जाती है।…

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मन का कवि शांत-सा

सविता सिंह दास सवि तेजपुर(असम) ************************************************************************* पता है, इन दिनों कुछ लिख नहीं पा रहीl रूठ गए हैं शायद, ये फूल,पौधे पहाड़,नदियाँ, धरा,अम्बर सबl कोई संवाद, नहीं कर रहा सब मौन…

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गुलाब ले लो

सविता सिंह दास सवि तेजपुर(असम) ************************************************************************* सिग्नल की हर गाड़ी की खिड़की पर देती है वो दस्तक, शोर चाहे कितना भी हो ट्रैफिक का सबके कानों में चुभती, उसकी वो टक-टकl…

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स्वीकारो या उपेक्षित करो

सविता सिंह दास सवि तेजपुर(असम) ************************************************************************* ये जो संकोच पलता है ना मन में तुम्हारे, मेरे अस्तित्व को स्वीकारने या नकारने के लिए, इसे तुम थोड़ा-सी ढील दो... देखो मैं कोई…

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कर्त्तव्य निभाना है

सविता सिंह दास सवि तेजपुर(असम) ************************************************************************* कारगिल विजय दिवस स्पर्धा विशेष………. घर की दहलीज़ पर कदम ठिठक गए, अर्धागिनी मेरी परछाई मेरी, खड़ी थी,मौन। कई सवाल होंठों पे लिये घुटनों को…

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अप्पू

सविता सिंह दास सवि तेजपुर(असम) ************************************************************************* सुबह-सुबह किसी के दरवाज़ा खटखटाने से मेरी नींद खुल गई। चारों तरफ जंगल,यहाँ कौन मुझसे मिलने आया होगा। आज तो हरि काका भी छुट्टी पर…

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