हरियाली से भू सुरक्षित

शंकरलाल जांगिड़ ‘शंकर दादाजी’रावतसर(राजस्थान) ****************************************** कृषक खुशी से झूम रहा है बदरी के छा जाने से।हरियाली से भू सुरभित है इस सावन के आने से॥ खेती भी लहलहा उठी है,बारिश जमकर…

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हर इक लम्हा याद आया

शंकरलाल जांगिड़ ‘शंकर दादाजी’रावतसर(राजस्थान) ****************************************** साथ तुम्हारे जो गुज़रा वो वक्त पुराना याद आया,जीवन के दुष्कर लम्हों में साथ निभाना याद आया। देख रहा धुँधली आँखों से गये समय की तस्वीरें,वो…

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सिपहसालार बनना है

शंकरलाल जांगिड़ ‘शंकर दादाजी’रावतसर(राजस्थान) ****************************************** रचनाशिल्प:क़ाफ़िया-आर,रदीफ़-बनना है;बहर-१२२२,१२२२,१२२२,१२२२ हमें अपने वतन का सच्चा पहरेदार बनना है।कटा दे एक पल में सर वही किरदार बनना है। सँभाले वार सीने पर अडिग चट्टान जैसे…

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मानव जीवन न व्यर्थ गंवाना साथी

शंकरलाल जांगिड़ ‘शंकर दादाजी’रावतसर(राजस्थान) ****************************************** मानव जीवन आज मिला है,इसे न व्यर्थ गंवाना साथी।जीवन दीप कर्म है बाती,उजियारा बिखराना साथी॥ जीवन पाकर भूल न जाना,करना प्यार सभी अपनों कोपूर्ण हमेशा करना…

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बहुत मुमकिन

शंकरलाल जांगिड़ ‘शंकर दादाजी’रावतसर(राजस्थान) ****************************************** रचना शिल्प:क़ाफ़िया-अना,रदीफ़-मुमकिन मिरा,बहर २१२२,२१२२,२१२२,२१२ हो जुदा उनसे तड़पना है बहुत मुमकिन मिरा।याद में उनकी मचलना है बहुत मुमकिन मिरा। गर्म साँसों की चुभन आती है मुझको…

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मानव जीवन जल बिन सूना

शंकरलाल जांगिड़ ‘शंकर दादाजी’रावतसर(राजस्थान) ****************************************** ज से जल जीवन स्पर्धा विशेष… जल में थल है थल में जल है जल का है संसार बड़ा,मानव जीवन जल बिन सूना,जल के बल नर…

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तब सृजन होता है…

शंकरलाल जांगिड़ ‘शंकर दादाजी’रावतसर(राजस्थान) ****************************************** जब कवि का अंतरमन चीखें मारने लगता है,जब कवि के अंदर से कुछ टूटने लगता हैतब जाकर एक कविता का सृजन होता है…।देश और समाज में…

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बस प्यार होना चाहिये

शंकरलाल जांगिड़ ‘शंकर दादाजी’रावतसर(राजस्थान) ****************************************** रचना शिल्प:क़ाफ़िया-आर,रदीफ़-होना चाहिये; बहर-२१२२,२१२२,२१२२,२१२ दुश्मनी को छोड़कर बस प्यार होना चाहिये,जो बहुत होता है कम इस बार होना चाहिये। हर दफ़ा ले आड़ होली पर निकालें…

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सृजन की अद्भुत माया

शंकरलाल जांगिड़ ‘शंकर दादाजी’रावतसर(राजस्थान) ****************************************** सृष्टि सृजन किया ईश्वर ने,कैसी अद्भुत माया है,जल में थल अरु थल में जल माया संसार रचाया है। पर्वत श्रृँग कहीं रच डाले,नदियाँ जंगल अरु झरने,सबसे…

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ऐ जीवन कहाँ है तू!

शंकरलाल जांगिड़ ‘शंकर दादाजी’रावतसर(राजस्थान) ****************************************** मन में जीने की आस लिएअरु एक अटल विश्वास लिए।कैसे पहुंच मैं जहां है तू,बता ऐ जीवन कहां है तू॥ क्या फूलों में खारों में है,क्या…

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