आ गया फिर बसन्त
शशांक मिश्र ‘भारती’शाहजहांपुर(उत्तरप्रदेश) ************************************ आ गया फिर बसन्त,फूलों को कहे हसन्तबाग-बगीचे खिल गए,हृदय से हृदय मिल गए।सरसों के हाथ पीले,चना तनकर मुस्कायाअलसी ने कमर मटकाई,गेहूं फूला न समाया।कृषक का धन…