हर ट्रेन की यही कहानी

तारकेश कुमार ओझाखड़गपुर(प. बंगाल ) ********************************************************** हम भारतीयों की किस्मत में ही शायद सही-सलामत यात्रा का योग ही नहीं लिखा है। किसी सफर में सब कुछ सामान्य नजर आए तो…

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कोरोना काल…रेल यात्रा बेहाल…

तारकेश कुमार ओझाखड़गपुर(प. बंगाल ) ************************************************* वाकई भौकाल मचाने में हम भारतीयों का कोई मुकाबला नहीं। बदलते दौर में दुनिया २ भागों में बंटी नजर आ रही है। एक पर्दे…

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बरगद की छाँव….!

तारकेश कुमार ओझाखड़गपुर(प. बंगाल ) ********************************************************** बुलाती है गलियों की यादें मगर,अब अपनेपन से कोई नहीं बुलाताइमारतें तो बुलंद हैं अब भी लेकिन,छत पर सोने को कोई बिस्तर नहीं लगाता।बे-रौनक…

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भीड़ में…

तारकेश कुमार ओझाखड़गपुर(प. बंगाल ) ********************************************************** खबरों की भीड़ में,राजनेताओं का रोग है…अभिनेताओं के टवीट्स हैं,अभिनेत्रियों का फरेब है।खिलाड़ियों की उमंग है,अमीरों की अमीरी है…कोरिया-चीन है,तो अमेरिका-पाकिस्तान भी हैलेकिन इस…

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क्या गुरू…! फिर तालाबन्दी…

तारकेश कुमार ओझाखड़गपुर(प. बंगाल ) ********************************************************** जो बीत गई उसकी क्या बात करें,लेकिन जो बीत रही है उसे अनदेखा भी कैसे और कब तक करेंl ऐसा डरा-सहमा सावन जीवन में…

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मजदूर की मंजिल…!

तारकेश कुमार ओझा खड़गपुर(प. बंगाल ) ********************************************************** पत्थर तोड़ कर सड़क बनाता है मजदूर, फिर उसी सड़क पर चलते हुए पैरों पर पड़ जाते हैं छालेl `मत` देकर सरकार बनाता…

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सड़कें यूँ उदास तो न थी…!

तारकेश कुमार ओझा खड़गपुर(प. बंगाल ) ********************************************************** अपनों से मिलने की ऐसी तड़प,विकट प्यास तो न थी, शहर की सड़कें पहले कभी यूँ उदास तो न थी। पीपल की छाँव…

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शहर वही है,नजारे बदल गए…!

तारकेश कुमार ओझा खड़गपुर(प. बंगाल ) ********************************************************** मेले वही हैं,बस इश्तेहार बदल गए, आसमां वही है,सितारे बदल गए। मायने वही है,मगर मुहावरे बदल गए, आग वही है,अंगारे बदल गए। गलियां…

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एकांतवास…

तारकेश कुमार ओझा खड़गपुर(प. बंगाल ) ********************************************************** वनवास हुआ 'लॉकडाउन' का एकांतवास, खलने लगी जबरदस्ती की आरामतलबी तड़पाने लगी वो स्थगित जिंदगी। फिर लौटे मैदानों में खेल पटरियों पर दौड़े…

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कोरोना:आम आदमी और करूणा…

तारकेश कुमार ओझा खड़गपुर(प. बंगाल ) ********************************************************** भयावह रोग `कोरोना` से मैं भी बुरी तरह डरा हुआ हूँ,लेकिन भला कर भी क्या सकता हूँ! क्या घर से निकले बगैर मेरा…

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