प्रो.डॉ. शरद नारायण खरे
मंडला(मध्यप्रदेश)
*******************************************
भारत माँ की आज़ादी को, बहुत यहाँ क़ुर्बान हुए।
गोरों से लड़कर के सारे,देशभक्त संतान हुए॥
हमने रच डाली नव गाथा,
लेकर खडग हाथ अपने
नहीं हटाये बढ़े हुये पग,
पूर्ण किए सारे सपने।
माटी को निज माथ लगाकर, सारे मंगलगान हुए,
गोरों से लड़कर के सारे, देशभक्त संतान हुए…॥
शत्रु नहीं बच पाया हमसे,
पूतों ने हुंकार भरी
भगतसिंह जैसे मतवाले,
विजयघोष-जयकार भरी।
आज़ादी ने माँगी क़ीमत,वीर सभी बलिदान हुए,
गोरों से लड़कर के सारे, देशभक्त संतान हुए…॥
इंकलाब की लाज निभाने,
तीन रंग का मान बने
जन गण मन का नग़मा गाया,
तीन रंग की शान बने।
भारत छोड़ो के नारे के,मतवाले सहगान हुए,
गोरों से लड़कर के सारे,देशभक्त संतान हुए…॥
बिस्मिल, आज़ादों के कारण,
हमने आज़ादी पाई
नेहरू-गांधी के नारों ने,
तन पर तो खादी पाई।
ब्रिटिश हुक़ूमत काँप उठी तब, पूर्ण सभी अरमान हुए,
गोरों से लड़कर के सारे, देशभक्त संतान हुए…॥
आज़ादी के मतवालों ने,
इतिहासों को रच डाला
त्याग दिया निज का सुख सारा,
विश्वासों को रच डाला।
पूत बने सब गौरव-गरिमा, सारे ही यशगान हुए,
गोरों से लड़कर के सारे, देशभक्त संतान हुए…॥
परिचय–प्रो.(डॉ.)शरद नारायण खरे का वर्तमान बसेरा मंडला(मप्र) में है,जबकि स्थायी निवास ज़िला-अशोक नगर में हैL आपका जन्म १९६१ में २५ सितम्बर को ग्राम प्राणपुर(चन्देरी,ज़िला-अशोक नगर, मप्र)में हुआ हैL एम.ए.(इतिहास,प्रावीण्यताधारी), एल-एल.बी सहित पी-एच.डी.(इतिहास)तक शिक्षित डॉ. खरे शासकीय सेवा (प्राध्यापक व विभागाध्यक्ष)में हैंL करीब चार दशकों में देश के पांच सौ से अधिक प्रकाशनों व विशेषांकों में दस हज़ार से अधिक रचनाएं प्रकाशित हुई हैंL गद्य-पद्य में कुल १७ कृतियां आपके खाते में हैंL साहित्यिक गतिविधि देखें तो आपकी रचनाओं का रेडियो(३८ बार), भोपाल दूरदर्शन (६ बार)सहित कई टी.वी. चैनल से प्रसारण हुआ है। ९ कृतियों व ८ पत्रिकाओं(विशेषांकों)का सम्पादन कर चुके डॉ. खरे सुपरिचित मंचीय हास्य-व्यंग्य कवि तथा संयोजक,संचालक के साथ ही शोध निदेशक,विषय विशेषज्ञ और कई महाविद्यालयों में अध्ययन मंडल के सदस्य रहे हैं। आप एम.ए. की पुस्तकों के लेखक के साथ ही १२५ से अधिक कृतियों में प्राक्कथन -भूमिका का लेखन तथा २५० से अधिक कृतियों की समीक्षा का लेखन कर चुके हैंL राष्ट्रीय शोध संगोष्ठियों में १५० से अधिक शोध पत्रों की प्रस्तुति एवं सम्मेलनों-समारोहों में ३०० से ज्यादा व्याख्यान आदि भी आपके नाम है। सम्मान-अलंकरण-प्रशस्ति पत्र के निमित्त लगभग सभी राज्यों में ६०० से अधिक सारस्वत सम्मान-अवार्ड-अभिनंदन आपकी उपलब्धि है,जिसमें प्रमुख म.प्र. साहित्य अकादमी का अखिल भारतीय माखनलाल चतुर्वेदी पुरस्कार(निबंध-५१० ००)है।