पद्मा अग्रवाल
बैंगलोर (कर्नाटक)
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छठ पर्व विशेष…
छठ पर्व षष्ठी का अपभ्रंश है। कार्तिक मास की अमावस्या को दीपावली मनाने के ६ दिन बाद कार्तिक शुक्ल को मनाए जाने के कारण इसे छठ कहा जाता है।
यह ४ दिन का त्यौहार है और इसमें सफाई का खास ध्यान रखा जाता है। इस व्रत को करने के नियम बहुत कठिन हैं, इस वजह से इसे महापर्व के नाम से संबोधित किया जाता है।
🔹कौन हैं छठी मैया…-
यह मान्यता है कि छठ देवी सूर्य देव की बहन हैं और उन्हीं को प्रसन्न करने के लिए जीवन के महत्वपूर्ण अवयवों में सूर्य व जल की महत्ता को मानते हुए इन्हें साक्षी मानकर भगवान् सूर्य की आराधना तथा उनका धन्यवाद करते हुए माँ गंगा, यमुना, किसी पोखर या तालाब या किसी भी पवित्र नदी के किनारे यह पूजा की जाती है।
षष्ठी माँ यानी छठी माता बच्चों की रक्षा करने वाली देवी हैं। इस व्रत को करने से संतान को लंबी आयु का वरदान मिलता है ।
मार्कंडेय पुराण में इस बात का उल्लेख मिलता है कि सृष्टि की अधिष्ठात्री प्रकृति देवी ने अपने-आपको छह भागों में विभाजित किया है। इनके छठे अंश को सर्वश्रेष्ठ मातृ देवी के रूप में जाना जाता है, जो ब्रम्हा की मानस पुत्री हैं। वह बच्चों की रक्षा करने वाली हैं। शिशु के जन्म के ६ दिन के बाद इन्हीं देवी की पूजा की जाती है। इनकी प्रार्थना से बच्चे को स्वास्थ्य, सफलता और दीर्घायु होने का आशीर्वाद मिलता है।
पुराणों में इन्हीं देवी का नाम कात्यायिनी बताया गया है, जिनकी नवरात्रि की षष्ठी तिथि की पूजा की जाती है।
🔹छठ व्रत की कथा-
छठ व्रत के संदर्भ में एक कथा के अनुसार जब पांडव अपना सारा राजपाट जुए में हार गए, तब द्रौपदी ने छठ व्रत रखा। इस व्रत के प्रभाव से उनकी मनोकामनाएं पूरी हुई तथा पांडवों को उनका राजपाट वापस मिल गया।
🔹उगते-डूबते सूर्य की भी पूजा-
इस पर्व में ३६ घंटे तक निर्जला व्रत रखा जाता है। संतान के सुख सौभाग्य, समृद्धि और सुखी जीवन की कामना को कर छठ पूजा की जाती है। इस व्रत और पूजा की शुरुआत ‘नहाय खाय’ के साथ होती है। इसके बाद खरना, अर्ध्य और पारण किया जाता है। खरना के दिन गुड़, चावल और खीर बनाई जाती है। खरना में विशेष रूप से कच्चा केला, डाभ नीबू, नारियल, गन्ना, सुथनी (मिट्टी के अंदर से ही निकाला जाता है), सुपारी और सिंघाड़ा आदि विशेष रूप से चढ़ाया जाता है। छठ पूजा एकमात्र ऐसा पर्व है, जिसमें उगते सूर्य के साथ डूबते सूर्य की भी पूजा की जाती है। छठ पूजा भारतीय संस्कृति का हिस्सा है, जो वैदिक काल से मनाया जाता रहा है। छठ पूजा में फल, मिठाई ठेकुआ मुख्य रूप से प्रसाद चढाया जाता है।
छठ पूजा की मुख्य विशेषता है कि इसमें मूर्ति पूजा के स्थान पर सूर्य, प्रकृति आदि की पूजा ऋग्वेद में लिखित आर्य परंपरा के अनुसार की जाती है।
छठ पूजा भारत के उत्तरी राज्य बिहार व झारखंड का मुख्य पर्व है, जो आज भी वैदिक आर्य संस्कृति का मुख्य तत्व है। छठ डाला या छठ पूजा का महापर्व फिजी, मॉरीशस और टोबैगो आदि सहित साथ विश्व के कई देशों में बहुत श्रद्धा के साथ मनाया जाता है।
