गुणी है अतिशय तुलसी

डॉ.विद्यासागर कापड़ी ‘सागर’ पिथौरागढ़(उत्तराखण्ड) ****************************************************************************** तुलसी अदरक डाल के, काढ़ा बनता खास। सर्दी रहती दूर ही, मिटती कंठ खरांस॥ मिटती कंठ खरांस, शीत भी डर जाती है। और साँस में…

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आखिर कब तक ?

उमेशचन्द यादव बलिया (उत्तरप्रदेश)  *************************************************** यह सुनकर छाती धधक उठती है कि,हमारे देश भारत वर्ष में जिसे ऋषि-मुनियों की धरती कहा जाता है,`धर्म नगरी` कहा जाता है,`बुद्ध भूमि` कहा जाता…

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`अस्मत` लूटने की कड़ी सजा दी जाए,वरना…

सारिका त्रिपाठी लखनऊ(उत्तरप्रदेश) ******************************************************* हैदराबाद घटना-विशेष रचना............... हम हर दूसरे-तीसरे दिन सोशल मीडिया,अखबार,टी.वी. चैनलों पर बलात्कार पीड़िताओं की भयावह तस्वीरें देखते हैं,कहीं जली हुई,कहीं पर सर काट के अलग फेंक…

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अर्थ शेष

डॉ.सोना सिंह  इंदौर(मध्यप्रदेश) ********************************************************************* मेरी पंक्तियों पर हँसने वाले,  मेरे शब्दों पर तंज कसने वाले निकालते हैं त्रुटियां, नया नहीं है,अर्थ नहीं है कविता में तुम्हारी। मेरा प्रतिप्रश्न रहता है,…

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‘पानीपत’ विवाद:इतिहास को जज्बात के आईने में देखने के मायने ?

अजय बोकिल भोपाल(मध्यप्रदेश)  ***************************************************************** बॉलीवुड में इतिहास पर आधारित फिल्में बनाना,ऐतिहासिक तथ्‍यों को अपने‍ हिसाब से संजोना,बदलना,ऐसी फिल्मों को लेकर बवाल मचना और इन सबके चलते फिल्म का अच्छी-खासी कमाई…

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नारी की कहानी

गरिमा पंत  लखनऊ(उत्तरप्रदेश) ********************************************************************** किस बात की पीड़ा है, किस बात का डर है क्यों घबराती हो छींटाकशी से, ये तुम्हें सौगातें मिली हैं। चरित्र और मर्यादा का ढोंग, हमें…

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माटी प्रेम

हीरा सिंह चाहिल ‘बिल्ले’ बिलासपुर (छत्तीसगढ़) ********************************************************************** कहो बहारों से आयीं हैं तो ठहर जाएंं, नजारे और वो फिजाएं चमन में बिखराएं। कहो बहारों से...ll है मेरे देश की माटी…

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हे दयामय रसराज

गोपाल चन्द्र मुखर्जी बिलासपुर (छत्तीसगढ़) ************************************************************ हे प्याज,हे रस सागर, विख्यात हैं आप भूमण्डल में जिनको मिला है स्वाद वही जाने- मूल्य आपका रतनों से परे। अति उज्ज्वल वर्ण है…

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जागते रहो!

डॉ.पूजा हेमकुमार अलापुरिया ‘हेमाक्ष’ मुंबई(महाराष्ट्र) ********************************************************* "चौकीदार चाचा नमस्ते,कैसे हो ?" "अरे,बिटिया कब आए ससुराल से ? (थोड़ा रुक कर),सब बढ़िया है तुम्हारे परिवार में ?" "हाँ चाचा सब बढ़िया…

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आत्मजा

विजयलक्ष्मी विभा  इलाहाबाद(उत्तरप्रदेश) ********************************************************* आत्मजा खंडकाव्य अध्याय-१७.............. देख पिता को इतना चिन्तित, पुन: प्रभाती ने मुँह खोला क्यों हो बैठे मौन पिताश्री, क्या मैंने कुछ अनुचित बोला। तूने नहीं किया…

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