कोरोना पाजिटिव और रिया चालीसा का पाठ

नवेन्दु उन्मेषराँची (झारखंड) ********************************************************* किफायती लाल कोरोना जांच शिविर में गये थे कोरोना की जांच कराने। उनके विभागीय अधिकारियों ने कहा था कि विभाग के सभी कर्मचारियों को कोरोना जांच…

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नया जमाना

शिवेन्द्र मिश्र ‘शिव’लखीमपुर खीरी(उप्र)**************************************************** नया है जमाना न समझो पुराना।यहाँ सब सुनाते हैं अपना तराना। भुला दी है सबने वो' संस्कृति पुरानी,कहाँ अब कोई सुनता किस्से कहानी।हुए मस्त अपने में'…

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पितृपक्ष:श्राद्ध-कर्म में स्वकल्याण अवसर

योगेन्द्र प्रसाद मिश्र (जे.पी. मिश्र)पटना (बिहार)******************************************************** पितृपक्ष २ सितम्बर (२०२०) से प्रारंभ हो चुका है। यह महालयारंभ,प्रतिप्रदा श्राद्ध १ तदनुसार भाद्रपद शुक्ल १५ से शुरू हुआ और १७ सितम्बर आश्विन…

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शिक्षक

डॉ.नीलिमा मिश्रा ‘नीलम’ इलाहाबाद (उत्तर प्रदेश) ********************************************************* जलाया ज्ञान का दीपक अंधेरे को मिटाडाला,पड़ी कच्ची जो मिट्टी थी उसे मूरत बनाडाला।जो हरदम सोचता रहता कि कैसे राष्ट्रउन्नत हो,उसी शिक्षक ने हर…

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लोक बोलियां भारत माता की आवाज

उज्जैन(मप्र)। हमारी बोलियां संरक्षित नहीं रहेगी तो संस्कृति का पतन होगा। बोलियां ही संस्कृति को संरक्षित करती है। लोक बोली और मातृभाषा के लिए जो लोग कार्य कर रहे हैं,उनको…

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सँभलकर देखता हूँ मैं

डॉ.अमर ‘पंकज’दिल्ली***************************************************** कड़ा पहरा है मुझ पर तो सँभलकर देखता हूँ मैं,बदन की क़ैद से बाहर निकलकर देखता हूँ मैं। कभी गिरना कभी उठना यही है दास्ताँ मेरी,बचा क्या पास…

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गुरु-शिष्य की अनवरत प्रक्रिया

निशा गुप्ता देहरादून (उत्तराखंड) ********************************************************* "गुरु तो हमेशा ही हर युग में पूज्य रहे हैं, इसमें कोई अपवाद नही है। वो ही पथ प्रदर्शक बन कर समाज का निर्माण करते हैं।"गुरुर्ब्रह्मा…

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जलरक्षण

बाबूलाल शर्मासिकंदरा(राजस्थान)************************************************* (रचना शिल्प:३० वर्ण (८८८६) प्रतिचरण,चार चरण समतुकांत चरणांत की कोई शर्त नहीं।) मनुज भूल नादानी,आज समय की मानी,बचत वर्षा का पानीसोचो कुण्ड बने। नहीं बहा ये अमृतबचा नीर…

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मात है धरा यही

डॉ.एन.के. सेठीबांदीकुई (राजस्थान) **************************************************** (रचना शिल्प:समवार्णिक छंद है-प्रत्येक चरण में ७ वर्ण;क्रम १ रगण +१ जगण + १ गुरु। २१ २१ २१ २,२१ २१ २१ २) पावनी धरा सहे,मानवी विकार…

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वसीयत:पत्र बेटी के नाम

कविता जयेश पनोतठाणे(महाराष्ट्र)********************************************************** मेरी प्यारी बेटी,इस छोटे से पत्र में आज अपनी जिन्दगी भर की धरोहर लिख रही हूँ। इसमें वो कानूनी कागजों का तमाम खुलासा नहीं,लेकिन मेरे जीवन के…

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