बाबुल तेरे अंगना में

रुपा कुमारी हावड़ा(पश्चिम बंगाल) ************************************************************* बाबुल तेरे अंगना में, मैं मस्त हवा का झोंका हूँ। बाबुल तेरे शहर में, मैं परियों की शहजादी हूँ। बाबुल तेरे अंगना की, मैं चहकती पंछी हूँl बाबुल तेरे बागों में, मैं महकता फूल हूँ। बाबुल तेरे अंगना में, मुझे पल-पल तेरा प्यार मिला। बाबुल तेरे शहर में, संग सबका … Read more

जगती चेतना

ओमप्रकाश अत्रि सीतापुर(उत्तरप्रदेश) ********************************************************************************* मँहगाई से ऊब चुका हूँ थोड़ी साँस हमें लेने दो, जग में व्याप्त बुराई से लड़-लड़ कर मैं टूट गया हूँ, थोड़ा मुझे सुधर लेने दो। दुनिया के झंझावातों को पागल-सा न जाने कबसे, रो-रोकर मैं झेल रहा हूँ सच पूछो तो मन व्याकुल है, जरा इसे बहला लेने दो। अब … Read more

रंगों की फुहार

सुशीला रोहिला सोनीपत(हरियाणा) *************************************************************************************** राधा बृषभान की छोरी,प्रेम रंग से खेले होली, मन पर प्रेम र॔ग की पिचकारी,श्याम ने खूब मारी… अंग-अंग,रोम-रोम भीगा,राधा श्याम की होली। गोपियों का महारास,बना गोकुल की पहचान, माखन-मिसरी के बहाने नाचे जगत कन्हैया… गोपियाँ श्याम स॔ग होली,प्रेम रंग से खेलें होली। भक्ति के रंग में एक बालक ने खेली होली, … Read more

सीमा

हरीश बिष्ट अल्मोड़ा (उत्तराखण्ड) ******************************************************************************** सीमाओं के भीतर रहकर, अपने कार्य करते जाओ मंजिल का रख ध्यान सदा, तुम आगे ही बढ़ते जाओ। जीवन में मेहनत करने की, होती नहीं है कोई सीमा चले सत्य के साथ सदा जो, उन्हें रोक सके ना कोई सीमा। पर कभी-कभी तुम सीमाओं से, बाहर जाना भी सीखो बाहर … Read more

जुल्म और जुर्म

शिवांकित तिवारी’शिवा’ जबलपुर (मध्यप्रदेश) ******************************************************************** जुर्म कर रहे हैं वो जुल्म सह रहे हैं जो, बंध के बंदिशों की बेड़ियों में रह रहे हैं जो। जो तूफानों का कभी मोड़ रूख देते थे, आजकल बिन हवाओं के बह रहे हैं वो। जो उठाते थे आवाज सबके हित के लिये, अब हो गये स्तब्ध कुछ न … Read more

हमारा भारत

दीपक शर्मा जौनपुर(उत्तर प्रदेश) ************************************************* शीश मुकुट हिमालय जिनकी छाती पर पावन गंगा है, महिमा उस देश की गाता हूँ,जिस देश की शान तिरंगा है। जहाँ ताजमहल और लाल किले-सी अदभुत भव्य इमारत है, सागर जिनके पाँव पखारे,वही हमारा भारत हैll जहाँ सरिता,झरना,झीलें और सुंदर बाग-बगीचे हैं, रामेश्वर-काशी-काबा सब एक गगन के नीचे हैं। जहाँ … Read more

नारी एक शक्ति

अंतुलता वर्मा ‘अन्नू’ भोपाल (मध्यप्रदेश) ************************************************************ नारी तुम मात्र नारी नहीं हो… सृष्टि के आरंभ की शिला हो तुम…। जगत-जननी हो तुम, सूर्य का तेज हो तुम। समुद्र की गहराई हो तुम, चंद्रमा की शीतलता हो तुम। पर्वतों की उच्चता हो तुम, त्याग की पवित्र मूरत हो तुम। प्रेम का सागर हो तुम, समय पड़ने … Read more

सनातन काल से स्त्री

डाॅ.आशा सिंह सिकरवार अहमदाबाद (गुजरात ) **************************************************************** माँ अंधी थी हमारी, पिताजी की उंगली पकड़कर उम्र भर चलतीं रहीं। अगर वे उन्हें रुकने को कहते तो वे रुक जाती थीं, फिर चल देतीं उन्हीं के पीछे-पीछे। कभी नहीं गयीं कहीं अकेली वे, कभी नहीं सोंचती थीं अपने बारे में, कभी नहीं किया कुछ अपने मन … Read more

हर रंग से है प्यार…

कृणाल प्रियंकर अहमदाबाद(गुजरात) ****************************************************** कितनी रंगों भरी है हमारी दुनिया, हर रंग की कुछ अलग है बात। कोई भर दे खुशियों से हमारा जहां, तो कोई कराता अकेलेपन का एहसास। लाल रंग लाता प्यार का संदेशा, पर वही देता खतरे का भी संदेशा। सफ़ेद रंग जो है शांति का, वही प्रतीक भी है मायूसी का। … Read more

नारी कमजोर नहीं

संध्या चतुर्वेदी ‘काव्य संध्या’ अहमदाबाद(गुजरात)  ****************************************************************** आज की नारी इतनी कमजोर नहीं,जो झुक जायेगी, करो चाहे पुरजोर जतन तुम,नहीं वो रुक पायेगी। दिल की सुंदरता कब भला,तेजाब से खत्म हो पायेगी, शक्ति रूप है नारी,नहीं मोम जो पिघल जायेगी। बंद करो तुम अब जिस्म का व्यापार चलाना, नारी कोई वस्तु नहीं जो बाजार में बिक … Read more