नारी गाथा…

दृष्टि भानुशाली नवी मुंबई(महाराष्ट्र)  **************************************************************** मैं हूँ तो ये संसार है, स्त्री कहो,कांता या भामिनी। दर्प है मुझे इस बात का, कि हूँ मैं इस विश्व की नारी॥ आसान नहीं है रिश्ते निभाना, बीवी,बहू और बेटी के। ईश्वर का दर्जा मिला है मुझे, जननी के स्वरूप में॥ नीर की भाँति निर्मल हूँ, तो समझो न … Read more

मेरा सपना

सुश्री नमिता दुबे इंदौर(मध्यप्रदेश) ******************************************************** वंश चलाने की लालसा ने, मुझको ही दासता में जकड़ा। चूल्हे-चौके में उलझी मैं, सदा किया नर को बलवान। मैं भी जीना चाहती थी, भाई संग स्कूल भी जाना चाहती थी। बहुत सहा है अब ना सहूंगी, तोड़ दूंगी बेड़ियाँ बेटियों की। दिलाऊँगी उनको अपनी पहचान, मिला नहीं जिसे कभी … Read more

नारी उदघोष

क्षितिज जैन जयपुर(राजस्थान) ********************************************************** ‘अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस’ स्पर्धा विशेष………………… मैं प्रतीक विश्व सृजन शक्ति की, मैं निर्माण का मधुर राग हूँ त्याग और स्नेह से बनी हुई, प्रकृति की करुणा का मैं भाग हूँ। घृणा के रौद्र परिवेश में भी, मैं प्रेम का मुक्त हस्तदान हूँ होकर रहित भेदभाव से सदा ही, मानव मात्र का … Read more

शक्ति स्वरूपा

डॉ.मंजूलता मौर्या  मुंबई(महाराष्ट्र) ************************************************************* ‘अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस’ स्पर्धा विशेष………………… दिल में भरकर ममता और दुलार, दुनिया को अपने प्रेम से सँवारा। संघर्षों से भरे जीवन में, बनी हर वक्त वह मजबूत सहारा। सहा बहुत कुछ उसने अब तक, अब उसने शक्ति संजोई है। लड़ रही अपने अधिकारों के लिए, उसकी शक्ति का लोहा मान रहा … Read more

नारी तुम चलती रहो

डॉ. आशा गुप्ता ‘श्रेया’ जमशेदपुर (झारखण्ड) ******************************************* ‘अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस’ स्पर्धा विशेष………………… तुम कब हारी हो जग में स्त्री अबला हो तुम क्यों कहलाती, बार-बार जनम हो लेती हो जीवन को गले लगातीl अनेक रूपों में बसती तुम माता बन हो मुस्काती, रिश्तों की गरिमा समझ तुम त्याग देवी बन जातीl कैसे करती हो बोलो … Read more

नारी इक अदभुत रचना

तृप्ति तोमर  भोपाल (मध्यप्रदेश) ********************************************************************* ‘अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस’ स्पर्धा विशेष………………… कभी कही,कभी अनकही कविता, इसका जीवन तो है बहती सरिता। नारी है इक सुलझी-अनसुलझी पहेली, इसका हर इक रूप है मानो जैसे सहेली। खुद ही खुद की है इक अनोखी पहचान, अपनी ही शक्ति से रहती अनजान। लेती है हर कदम पर नया रुप, कभी … Read more

नारी शक्ति

तारा प्रजापत ‘प्रीत’ रातानाड़ा(राजस्थान)  ************************************************* ‘अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस’ स्पर्धा विशेष………………… समय के आगे नहीं झुकेगी, परिस्थितियों से नहीं टूटेगी। औरत जो औरों में रत थी, जान गई है अपने स्वरूप को। शक्ति अपनी पहचानी है, मन की उसने अपनी मानी है। तोड़ दिए हैं बन्धन सारे, कभी किसी से ये न हारे। ‘बेचारी’ अब कभी … Read more

तू ही सृष्टि

सारिका त्रिपाठी लखनऊ(उत्तरप्रदेश) ******************************************************* ‘अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस’ स्पर्धा विशेष………………… तू ही धरा,तू सर्वथा, तू बेटी है,तू ही आस्था। तू नारी है,मन की व्यथा, तू परम्परा,तू ही प्रथा। तुझसे ही तेरे तप से ही रहता सदा यहां अमन, तेरे ही प्रेमाश्रुओं की शक्ति करती वसु को चमन। तेरे सत्व की कथाओं को,करते यहाँ सब नमन, फिर … Read more

महिला-अदभुत शक्ति

मानकदास मानिकपुरी ‘ मानक छत्तीसगढ़िया’  महासमुंद(छत्तीसगढ़)  ************************************************** ‘अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस’ स्पर्धा विशेष………………… महिला एक शब्द ही नहीं है,वह अथाह सागर की तली है, जिसका पार ना कोई पा सका,उसमें अदभुत शक्ति भरी है। जिसकी सहनशीलता के आगे धरती क्या सारी सृष्टि की भी कमी है, सूर्य में आग,पुष्प में सुगंध,जल में उतनी नमी नहीं, जितनी … Read more

नारी तेरे रूप अनेक

मनोरमा चन्द्रा रायपुर(छत्तीसगढ़) ******************************************************** ‘अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस’ स्पर्धा विशेष………………… अनेक रूप हैं नारी तेरे, पूत जनन कर,जननी कहाती स्नेही,करुणामयी,मूरत तेरी, संकटों से न,तू घबराती। अपने आत्मसम्मान के लिए, लड़ जाती,सारे जग से सबला बनकर,जीवन जीती, तुझमें धैर्य की खान,है भरी। बेटी,बहन,माँ,का रूप धरती, संबंधों के सूत्र में ढलती पुरुष संगिनी,बनकर नारी, अपना फर्ज,नित पूरा करती। … Read more