पैबंद कहाँ नहीं हैं! जिन्दगी…

राधा गोयलनई दिल्ली****************************************** क्या कहते होथेगले लगे हुए कपड़े क्यों पहने हैं ?शायद तुम आजकल का फैशन नहीं जानते,नामचीन शो-रूम से ये कपड़े खरीदे हैं। तुम कहते हो पैबन्द लगे…

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रंगों का मोल

डॉ.आशा आजाद ‘कृति’कोरबा (छत्तीसगढ़)**************************************** कुदरत का वरदान शुभे है, जिसको कहते रंग।अन्तर्मन को शोभित करती, लाती सदा उमंग॥ अट्ठारह इकसठ में जानें, मैक्सवेल की खोज।शुभ वर्णों की बारीकी, खोजा उसने…

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शत-प्रतिशत मतदान करो

हेमराज ठाकुरमंडी (हिमाचल प्रदेश)***************************************** लोकतन्त्र के महापर्व में, आओ मिलकर सभी सहयोग करेंशत-प्रतिशत मतदान की पूर्ति हेतु,अपने मत का प्रयोग करें। सत्ता समर में कूदे दलों से, मत से निज…

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मोल एक ‘मत’ का…

डॉ. बालकृष्ण महाजननागपुर ( महाराष्ट्र)*********************************** एक वोट का मोल,तुम क्या जानो!मक्खन बाबू।अगर काबू में,रहे तो लाभवर्ना,बेकाबू हो तो हानि।यानी,एक वोट से चुनावजीता या हारा भी,जा सकता है।इसलिए-एक वोट का मोल…

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किताबें बोलती हैं

डॉ. श्राबनी चक्रवर्तीबिलासपुर (छतीसगढ़)************************************************* 'विश्व पुस्तक दिवस' विशेष.... किताबें बोलती हैं,कितने राज़ खोलती हैं। किताबें सुनती हैं,हमारी कहानियाँ कहती हैं। किताबें ज्ञान का समंदर है,उस भवसागर में गोता लगाने से…

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राह दिखाती सदा

अजय जैन ‘विकल्प’इंदौर(मध्यप्रदेश)****************************************** 'विश्व पुस्तक दिवस' विशेष... 'पुस्तकें',दोस्त हमारीसिखाती है जिंदगी,जीते हमजंग। 'पुस्तकें',गुरु-ज्ञानअनगिनत नसीहत देतीलाती रौशनीसफलता। 'पुस्तकें',परिवार भीअकेलेपन की साथी,छोड़ती नहींहाथ। 'पुस्तकें',चिंतन करातीघर, समाज, देश,बोलते हमसच्चाई। 'पुस्तकें',झूठी नहींइंसान की तरह,सच…

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खुशियाँ लाई

तृप्ति तोमर `तृष्णा`भोपाल (मध्यप्रदेश) **************************************** गुड़िया आईसंग खुशियाँ लाईहै फुलवारी। सूरत चंदाहै रोशन चेहरारौनक लाई। हो खुशहालीनन्हें सु-कदमों सेयही कामना। अकेलापनदूर किया इसनेहै उपहार। भाग-दौड़ मेंचिड़िया-सी चहकीसुकून लाई॥ परिचय–तृप्ति तोमर पेशेवर…

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जागना होगा, वर्ना…

अजय जैन ‘विकल्प’इंदौर(मध्यप्रदेश)****************************************** 'पृथ्वी दिवस' विशेष... जागना होगामर जाएंगे वर्नाबचाओ धरा। दुनिया यहीसबका मूल्य जानोमत बिगाड़ो। हवा चाहिएमन-सुकून लिएपेड़ लगाओ। वायु चाहिएन हो प्रदूषणवन बचाओ। जल कीमतीकम हों रसायनपानी जीवन।…

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स्वयं की खोज

संजय एम. वासनिकमुम्बई (महाराष्ट्र)************************************* फूलों की खुशबू हवा केविपरीत फैलती नहीं,चाहे चंदन, चाहे तगारा होया चमेली या गुलाब हो,इनकी खुशबू अपने स्वभाव के विपरीत फैलती नहीं,परन्तु, अच्छे लोगों की सुगंधहवा…

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चुनाव

हीरा सिंह चाहिल ‘बिल्ले’बिलासपुर (छत्तीसगढ़)********************************************* चुनो सदा उपयुक्त जन, हित जीवन का देख।मानवता सजती रहे, यह ईश्वर का लेख॥ धन-दौलत के मोह में, सभी निरर्थक भाव।सजी सत्यता ही रहे, मिटा…

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