चुनावी महासंग्राम

राजू महतो ‘राजूराज झारखण्डी’ धनबाद (झारखण्ड)  ************************************************************************** आ गया है देखो चुनावी महासंग्राम, साफ कर दिल को खोलो ज्ञान का धाम देखो करनी उनकी सुबह हो या शाम, दिलो-दिमाग से…

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शिक्षा देती संस्कार

आरती जैन डूंगरपुर (राजस्थान) *********************************************- युवा आएंगे जब, शिक्षा के करीब तब एक नहीं...सात, पीढ़ी का बनेगा नसीबl कोई युवती उसे नहीं, लगेगी वस्तु और माल कहावत में भी नारी…

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इंसान बनिए

भोला सिंह बलिया(उत्तरप्रदेश)  ***************************************** इंसान हैं,इंसान बनिए, दीन-दुखियों की जीवनधार बनिए अपनों के बीच से उठकर, देश के लिए कर्णधार बनिएl इंसान हैं,इंसान बनिए... अपनों का सब द्वेष भुलाकर, प्रेम-सदभाव…

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जंग-ए-हयात

हीरा सिंह चाहिल ‘बिल्ले’ बिलासपुर (छत्तीसगढ़) ********************************************************************** कोई न मुकाबिल तुम्हारे,मगर तुम कम न कभी आँकना, सबके जुदा फन हैं,फनकार हो तुम,खुद को तभी आँकना। कोई न मुकाबिल... सबकी जुदा…

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मुहब्बत

पंकज भूषण पाठक ‘प्रियम’ बसखारो(झारखंड) *************************************************************************** (रचनाशिल्प:१२२ १२२ १२२ १२२)  मुहब्बत मुहब्बत मुहब्बत हमारी, सलामत रहे प्यार चाहत हमारी। नहीं ख़्वाब कोई नहीं चाह कोई, नहीं कोई तुझसे शिकायत हमारी।…

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आख़िर किस लिए

सुश्री अंजुमन मंसूरी ‘आरज़ू’ छिंदवाड़ा (मध्य प्रदेश) ********************************************************************  हो गया नाकाम आख़िर किस लिए, अम्न का पैग़ाम आख़िर किस लिए। क्या यही है सच बयानी का सिला, उफ़! ये क़त्लेआम…

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मन का धोखा

आशीष प्रेम ‘शंकर’ मधुबनी(बिहार) ************************************************************************** दगाबाज-सा है मन, झांसा देता हरदम कब क्या करने को कह दे, इसका न कोई वर्णन। कभी फूलों-सा खिल जाए, कभी कलियों-सा शरमाए कभी काँटों-सा…

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वीणा

डॉ.एन.के. सेठी बांदीकुई (राजस्थान) ************************************************************************* हे ज्ञानदायिनी सरस्वती, बुद्धि हमको दीजिए। वीणापाणि वागीश्वरी माँ, कृपा हम पर कीजिए॥ हम बुरा ना सोंचें किसी का, निर्मल चित्त कीजिए। हंसवाहिनी ब्रह्मचारिणी, दुर्बुद्धि…

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दर्द…

निर्मल कुमार जैन ‘नीर’  उदयपुर (राजस्थान) ************************************************************ धरना धीर- कोई नहीं समझे, मन की पीरl बेदर्द जहाँ- भीतर की पीड़ा को, समझे कहाँl शब्दों के तीर- करते हैं भीतर, घाव…

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बेजार

रश्मि लता मिश्रा बिलासपुर (छत्तीसगढ़) ****************************************************************** जीवन है इतना बेजार क्यों, फिर भी है जिंदगी से प्यार क्यों ? समय के थपेड़े तूफानों का कहर, जिंदगी बन जाती क्यों जहर,…

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