जनहित ध्येय हो

डॉ.आशा आजाद ‘कृति’कोरबा (छत्तीसगढ़)**************************************** सच्चा मानुष है वही, सबको समझे एक।देश के उत्थान में, कर्म करे वह नेक॥कर्म करे वह, नेक देशहित, फर्ज निभाए।दीन-दुखी के, कष्ट हरे नित, समता लाए॥'आशा'…

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नया वर्ष आया, खुशियाॅं लाया

हीरा सिंह चाहिल ‘बिल्ले’बिलासपुर (छत्तीसगढ़)********************************************* रचनाशिल्प:१६-१४ के क्रम में ४ चरण प्रति छंद में कुल ३० मात्राएं, अनिवार्य रूप से चरणान्त में 'मगण (sss) ३ गुरु वर्ण (२२२) का प्रयोग।…

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स्वर्ग -नर्क कहाँ है

डॉ.आशा आजाद ‘कृति’कोरबा (छत्तीसगढ़)**************************************** स्वर्ग कहाँ है कौन जानता, कहाँ रहे है नर्क।मानव सत से रहे परे अरु, व्यर्थ लगाता तर्क॥ कौन भला मृत देह बाद में, लौटा वापस आज।नर्क-स्वर्ग…

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रंग… मिलन

अजय जैन ‘विकल्प’इंदौर(मध्यप्रदेश)****************************************** होली विशेष.... 'होली',मन मस्तीरंग की तरंग,मिलन बहानाखुशी। संस्कृति,सिखाती सबकोमिलकर पर्व मनाएँ,घुल जाएँरंग। सौहार्द,है त्यौहारस्नेह का उजाला,रहना सदामस्त। जीवन,बड़ा कठिनरंगीन होना पड़ेगा,उल्लास जरूरीमनोरंजन। उत्सव,जीवन रंगआनंद नहीं तो,सब फीकाबेरंग।…

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शिव जी सदा जग पालक

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश)******************************************* जय देव सदा जग-पालक हैं।हम तो शिवजी! बस याचक हैं॥करना करुणा नहिं लायक हैं।हम तो शिवजी! गुण गायक हैं॥ प्रभुजी शिव! के हम दास सदा।हम तो…

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स्वस्थ देहयुक्त योग

डॉ.आशा आजाद ‘कृति’कोरबा (छत्तीसगढ़)**************************************** हे मानव नित भोर भये सब, कर लें योग।कभी देह को नहीं धरेगा, कोई रोग॥ भिन्न-भिन्न योगा के गुण को, जानें आप।मानव नित पदचार करें तन,…

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रहते प्रभु जीवन में सबके

हीरा सिंह चाहिल ‘बिल्ले’बिलासपुर (छत्तीसगढ़)********************************************* रचनाशिल्प:४ सगण ('S'॥) के क्रम में कुल १२ वर्ण प्रति चरण।... कहते बनती बतियां मुझसे।तब तो कहता बतियां सबसे॥मुझसे मिलते प्रभु आ करके।रहते प्रभु जीवन…

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नवल प्रभात

डॉ.आशा आजाद ‘कृति’कोरबा (छत्तीसगढ़)**************************************** इस विरहन का प्रीत हो, इस धड़कन की आस हो।व्याकुल निर्झर मन कहे, मेरा तुम विश्वास हो॥ अंतस मन की ज्योत तुम, तुम ही नवल प्रभात…

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मानवता का रंग

डॉ.आशा आजाद ‘कृति’कोरबा (छत्तीसगढ़)**************************************** जीवन हो निर्मल, भाषा अविरल, मृदुवाणी का, ध्यान धरें।मन होवे सुंदर, समता अंतर, मानवता का, मान करें॥छल और छलावा, व्यर्थ दिखावा, त्याग सभी जन, नित्य बढ़ें।जनहित…

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वसंत की बयार

अजय जैन ‘विकल्प’इंदौर(मध्यप्रदेश)****************************************** ऋतुराज,फिर आयामन को लुभाता,फूल खिलेमनभावन। मन,अपना झूमेलपक लूँ ख़ुशी,छूटे नहींसाथ। प्रेम,हास-उल्लासहर कोई गुलज़ार,मौसम हसींमनमोहन। यादें,खजाना खुलास्मृति ढेर सारी,हमराह कौन ?आज। नवयौवन,खिला चेहरावसंत की बयार,उड़ना चाहेप्यार। तितलियाँ,लुभाती रंगीनप्रकृति…

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