परचम लहराना है

हरिहर सिंह चौहानइन्दौर (मध्यप्रदेश )************************************ वर्तमान के विश्व पटल पर,अहिंसा का परचम लहराना हैवर्धमान के साथ आगे बढ़ते जाना है,प्रभु के उपदेशों को हमें जग में ले जाना है'जियो और…

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पूर्ण हुई मंशा सकल

ममता तिवारी ‘ममता’जांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)******************************************** तिलक किया है सूर्य ने, राम ललाम ललाट,किरणों के अभिषेक से, हँसे भुवन सम्राट। नवमी तिथि शुभ चैत में, मंद- मंद मुस्कान,शोभा अद्भुत पा रहा, सुन्दर रूप…

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नगरी हो अयोध्या-सी

संजय वर्मा ‘दृष्टि’ मनावर(मध्यप्रदेश)**************************************** नगरी हो अयोध्या-सी,जहाँ राम का वास होघण्टियों, शंखों का जहाँ,सुमधुर ध्वनियों का नाद होमेरे राम सदा हृदय बसे,बस इतना-सा मीठा ख्वाब हो। ध्वज सदा लहराए,कीर्तन एकसाथ होमंगल…

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माँ कालरात्रि देवी

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) ************************************************* कालरात्रि माँ भवानी, महिमा अपरंपार।धूप दीप नैवेद्य से, माता का दरबार॥ कालरात्रि माँ सप्तमी, पावन दिन नवरात्र।महाकाल जगदम्बिके, मुण्डमाल चहुँ गात्र॥ चामुण्डा माँ चण्डिका,…

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माँ की कृपा

संजय वर्मा ‘दृष्टि’ मनावर(मध्यप्रदेश)**************************************** माँ की कृपा बड़ी निराली है,करो समर्पणफिर जिंदगी में खुशहाली है,भले ही माँ भूखी रह जाती हैमुझे आई तृप्ति की डकार से माँ संतुष्ट हो जाती है।…

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संस्कार फटे क्यों है ?

ताराचन्द वर्मा ‘डाबला’अलवर(राजस्थान)*************************************** संस्कार तेरे ये फटे क्यों है,चहरे पे उलझी लटें क्यों है ? क्या बेच खाई शर्म-हया!मानवता के बीज घटे क्यों है ? अफसोस अभी तक ग़म नहीं,बीच…

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नेट-चेट में लीन

डॉ.आशा आजाद ‘कृति’कोरबा (छत्तीसगढ़)**************************************** मोबाइल का दौर है, मनुज हुआ नित व्यस्त।नेट चेट में लीन है, तन से होता पस्त॥तन से होता पस्त, करे वह लापरवाही।पढ़ना नहीं किताब, करे वह…

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आज मन विचलित हो उठा

कमलेश वर्मा ‘कोमल’अलवर (राजस्थान)************************************* मन आज क्यों ? विचलित हो उठा,रह-रह कर मन क्यों ? मचल उठा। न जाने क्यों ? लगता है कुछ ऐसा,जीवन बदल-सा गया हो जैसा। जब…

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निराला सिंगापुर

हेमराज ठाकुरमंडी (हिमाचल प्रदेश)***************************************** सागर से सटा यह देश निराला, अनूठी यहाँ की व्यवस्था हैऊँची-ऊँची अटलियाँ हैं यहाँ की, फर्शित हर एक रस्ता है। ७३४.३ वर्ग किमी है दायरा इसका,…

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भोर हुई

दिनेश चन्द्र प्रसाद ‘दीनेश’कलकत्ता (पश्चिम बंगाल)******************************************* धीरे-धीरे रजनी चली गई,भोर हुई, तब ऊषा आई। मुर्गा बोलता है कुकड़ू कूं,रवि रश्मियाँ दिखने लगीं। कौआ बोलता काँव-काँव,पनिहारिन दिखे ठाँव-ठाँव। हो गई है…

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