राह दिखाती सदा

अजय जैन ‘विकल्प’इंदौर(मध्यप्रदेश)****************************************** 'विश्व पुस्तक दिवस' विशेष... 'पुस्तकें',दोस्त हमारीसिखाती है जिंदगी,जीते हमजंग। 'पुस्तकें',गुरु-ज्ञानअनगिनत नसीहत देतीलाती रौशनीसफलता। 'पुस्तकें',परिवार भीअकेलेपन की साथी,छोड़ती नहींहाथ। 'पुस्तकें',चिंतन करातीघर, समाज, देश,बोलते हमसच्चाई। 'पुस्तकें',झूठी नहींइंसान की तरह,सच…

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खुशियाँ लाई

तृप्ति तोमर `तृष्णा`भोपाल (मध्यप्रदेश) **************************************** गुड़िया आईसंग खुशियाँ लाईहै फुलवारी। सूरत चंदाहै रोशन चेहरारौनक लाई। हो खुशहालीनन्हें सु-कदमों सेयही कामना। अकेलापनदूर किया इसनेहै उपहार। भाग-दौड़ मेंचिड़िया-सी चहकीसुकून लाई॥ परिचय–तृप्ति तोमर पेशेवर…

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जागना होगा, वर्ना…

अजय जैन ‘विकल्प’इंदौर(मध्यप्रदेश)****************************************** 'पृथ्वी दिवस' विशेष... जागना होगामर जाएंगे वर्नाबचाओ धरा। दुनिया यहीसबका मूल्य जानोमत बिगाड़ो। हवा चाहिएमन-सुकून लिएपेड़ लगाओ। वायु चाहिएन हो प्रदूषणवन बचाओ। जल कीमतीकम हों रसायनपानी जीवन।…

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राम ही राह

अजय जैन ‘विकल्प’इंदौर(मध्यप्रदेश)****************************************** राम ही प्राणमर्यादा का पर्यायराम ही धाम। सत्य सूरतराम का जीवनकर्म मूरत। राम ही राहबनें जीवन-राजासबकी चाह। पुरूषोत्तमवचन है निभायाराम उत्तम। दुःख तमाममिला वनवास भीसंतोषी राम। है…

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ख्वाब

डॉ.पूजा हेमकुमार अलापुरिया ‘हेमाक्ष’मुंबई(महाराष्ट्र) ********************************************************* बादल आएमन को बड़े भाएआनंदित मैं। होगी बारिशतुम्हारे आने परभीगेंगे हम। बुनता ख्वाबसदा बच्चों के लिएनि:स्वार्थ मन। परिचय–पूजा हेमकुमार अलापुरिया का साहित्यिक उपनाम ‘हेमाक्ष’ हैl…

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करे जागृत

अजय जैन ‘विकल्प’इंदौर(मध्यप्रदेश)****************************************** 'कविता' तो हैजीवन की सरिताभाषा की नदी। 'कविता' ज्ञानमन से मन जोड़तीस्त्रोत महान। स्वर 'कविता'बोलती हृदय सेविचार-भाव। करे 'कविता'सदा आत्मा जागृतदेती है शिक्षा। शब्द सौन्दर्यरचती कई गुण'कविता'…

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बरसा रंग खूब

डॉ.पूजा हेमकुमार अलापुरिया ‘हेमाक्ष’मुंबई(महाराष्ट्र) ********************************************************* रंग हमारेहैं एकदम पक्केचढ़े प्यार से। रंगीन तुमरंगी रंगों में मैं भीमनाएं होली। फागुन आयाबरसा रंग खूबहुए रंगीन। मनभावनहोली के सभी रंगलगे अपने। खेलेंगे सबमनभावन…

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जगत के रक्षक

हीरा सिंह चाहिल ‘बिल्ले’बिलासपुर (छत्तीसगढ़)********************************************* रचनाशिल्प:५-७-५ अक्षर के क्रम में ३ पंक्तियां प्रति पद... भगवान हैं,जगत के रक्षककण-कण में। रूप बदलें,प्रभु रक्षक बनक्षण-क्षण में। पहचानना,मुश्किल है उनकोसबके लिए। ईश्वर रहें,मात-पिता…

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विश्वास

डॉ.पूजा हेमकुमार अलापुरिया ‘हेमाक्ष’मुंबई(महाराष्ट्र) ****************************************** दुखी मानवसब कुछ पाकरसंघर्षशील। भूल हमारीसुधरेगी अवश्यविश्वास बन। महक उठाघर-आँगन मेराबगिया तुम। राम स्मरणसदा बना रहताबता न सकूं। मन हमारामहत्वाकांक्षी बड़ामानें न हम। मन हारेगातुम्हारे…

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निराला गणतंत्र

अजय जैन ‘विकल्प’इंदौर(मध्यप्रदेश)****************************************** जीवन मंत्रभारत का निरालाहै गणतंत्र। जिम्मेदार होनिभाएं देश धर्मउदारता हो। हुई बर्बादीना भूलें बलिदानमिली आजादी। शान तिरंगाअनेकता-एकतामान तिरंगा। चमके देशफैलाएं हर ख़ुशीहो ये विशेष। भूखा न सोएऐसी…

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