बासन्ती रुत

तारा प्रजापत ‘प्रीत’ रातानाड़ा(राजस्थान)  ************************************************* बासन्ती रुत आयी, सखी री! बासन्ती रुत आयी। लहर-लहर चुनरी लहराई साजन सूरत जो हृदय बसाई, मनमोहक छटा मन भायीl सखी री! बासन्ती रुत आयी।…

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बेटी बाबुल की

ममता बैरागी धार(मध्यप्रदेश) ****************************************************************** आज कितनी मासूम कोमल कली का जन्म हुआ, देखो इस जहाँ में जैसे देवी का अवतरण हुआ। नेक भली,और भोली-भाली,वह बहुत ही थी निराली, आज देख…

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किसकी फितरत!

कुँवर बेचैन सदाबहार प्रतापगढ़ (राजस्थान) ********************************************************************** कभी साँपों को देखकर डर जाता था, अब दो-चार साँप तो आस्तीन में ही पाल लेता हूँ। उल्लूओंं को कभी अपशगुन मानने वाला मैं,…

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आईना

डाॅ. मधुकर राव लारोकर ‘मधुर’  नागपुर(महाराष्ट्र) ************************************************************************* मैं इधर-उधर देखता रहा। मेरे आस-पास कोई भी नहीं था। फिर मुझे यह आवाज,कैसे सुनाई दे रही है। किसकी है यह आवाज...! मुझे…

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सखे

अवधेश कुमार ‘अवध’ मेघालय ******************************************************************** जोड़ो न नेह की डोर सखे, दुनिया का हृदय कठोर सखे। जग तेरे भाव न बूझेगा, घातक सवाल सौ पूछेगा। इल्ज़ाम लगाएगा हम पर, नज़रों…

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लेखिका विजयलक्ष्मी विभा को मिला `ग्लोबल अचीवर्स अवार्ड`

इलाहाबाद(उत्तरप्रदेश)l इंडियन इंस्टीट्यूट आफ ओरियंटल हेरिटेज के ४३ वें वार्षिक अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में प्रयाग निवासी श्रीमती विजयलक्ष्मी विभा को उनके साहत्यिक सहित बहुआयामी कृतित्व के लिए `ग्लोबल अचीवर्स अवार्ड` से…

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परछाई

गरिमा पंत  लखनऊ(उत्तरप्रदेश) ******************************************************************* माँ मैं तेरी परछाई हूँ, तेरे अंश से जन्म लिया तुझसे है पहचान मेरी, तू ही मेरी जान है। माँ मैं तेरी परछाई हूँ, माँ की…

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क्या यह भी प्रेम ?

सोमा सिंह ‘विशेष’ गाजियाबाद(उत्तरप्रदेश) *********************************************************************** रसोईघर में एक चूहा इधर कुछ दिन से रोज ही नजर आ जाता है। सारे जतन करके हार गई,पतिदेव ने एक दो बार उसे भगाने…

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कभी-कभी चुप रह जाऊं

पूनम दुबे सरगुजा(छत्तीसगढ़)  ****************************************************************************** कभी-कभी चुप रह जाऊं, कुछ भी नहीं बात करूं मुझे अकेले रहने दो ना, सब-कुछ पल में भूल जाऊं। कभी-कभी... बैठ कहीं अकेले में, बचपन के…

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स्वदेश महान

बाबूलाल शर्मा सिकंदरा(राजस्थान) ************************************************* (रचनाशिल्प:जगण,जगण १२१,१२१-६ वर्ण,८ मात्रा,दो-दो चरण सम तुकांत,चार चरण का एक छंद) करें जय गान! शहादत शान! सुवीर जवान! स्वदेश महान! करें गुण गान! सुधीर किसान! पढ़े…

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