प्रार्थना

डॉ.धारा बल्लभ पाण्डेय’आलोक’अल्मोड़ा(उत्तराखंड) ************************************************ रचना शिल्प:मापनी २१२२ २१२२ २१२ वंदना माँ भारती की कर सकूँ।वीर भारत को नमन मैं कर सकूँ।यह सदा विजयी हमारा देश हो।प्रार्थना कर कोटि शुभ परिवेश हो॥ विश्व विजयी बन जगत में शान हो।देश मेरे विश्व गुरु का मान हो।हो तिरंगा विश्व का परचम बड़ा।विजय का जयगान करता हो खड़ा॥ परिचय–डॉ.धाराबल्लभ … Read more

नारी है अवतार

आशा आजाद`कृति`कोरबा (छत्तीसगढ़) ******************************************* महिला दिवस स्पर्धा विशेष…… नारी है अवतार,हृदय में इसे बसाएँ।जगती का आधार,प्रेम के पुष्प चढ़ाएँ॥ जीवन का उद्धार,जन्म देकर करती है।मुश्किल कितनी होय,कर्म से ये बढ़ती है॥ कभी बहन बन जाय,प्रेम से घर को रखती।दुख की होवें छाँव,धर्म के पथ पर चलती॥ देती हरपल साथ,हाल कैसा भी होवें।मात-पिता का भार,प्रेम से … Read more

अपना विश्वास जगाना है

डॉ.धारा बल्लभ पाण्डेय’आलोक’अल्मोड़ा(उत्तराखंड) ************************************************ महिला दिवस स्पर्धा विशेष…… आज स्वयं नारी को भी निज,शौर्य लिये जगना होगा।स्वाभिमान का अस्त्र लिए निज,हिम्मत से जीना होगा॥ भारत का इतिहास रहा यह,लिखी कहानी नारी ने।चंड-मुंड संहार किया सब,काली बनकर दुर्गा ने॥ फिरंगियों के कत्ल किए थे,रानी लक्ष्मीबाई ने।चुन-चुन कितने ढेर किये,तौबा किया फिरंगी ने॥ अपनी आन बचाने को … Read more

इंक़लाब की डगर चले वो

डॉ.नीलिमा मिश्रा ‘नीलम’ इलाहाबाद (उत्तर प्रदेश) ************************************************* शहीद चंद्रशेखर आजाद पुण्यतिथि(२७ फ़रवरी)विशेष…. जगरानी ने बेटा जायानाम चंद्रशेखर आजाद।अलीराजपुर जन्मस्थलीआज करें हम उनको याद।सीताराम तिवारी के घरख़ुशियों की आयी सौग़ात।भारत के कण-कण में जिसनेशब्द लिखा था ज़िंदाबाद। भील बालकों के संग खेलेबाण धनुष लेकर तलवार।जलियाँवाला की घटना नेमचा दिया था हाहाकार।इंक़लाब की डगर चले वोगूँजा भारत ज़िंदाबाद।जगरानी … Read more

हमारे रहोगे दयानाथ हे

डॉ.धारा बल्लभ पाण्डेय’आलोक’अल्मोड़ा(उत्तराखंड) ************************************************ हमारे रहोगे दयानाथ हे।कृपासिंधु तुम हो जगन्नाथ हे।तुम्हारे सहारे लगी आस है।तुम्हारा जपूँ नाम विश्वास है॥ बनाए तुम्हीं ने दिवस रात हैं।सितारे गगन में चमकते रहें।कुसुम बाग में खिल महकते रहें।फुदककर कबूतर चहकते रहें॥ करूँ वंदना हाथ जोड़े हुए।लिए आस मन में संजोए हुए।धरो लाज मेरी महादेव हे।दुखी-दीन मैं हूँ दयासिंधु … Read more

सरस्वती महिमा

डॉ.धारा बल्लभ पाण्डेय’आलोक’अल्मोड़ा(उत्तराखंड) ************************************************ करूँ नमन कर जोड़,ज्ञान की देवी माता।सरस्वती का गान,मधुर विद्या माता का।दया करो हे मातु,विमल मन उज्जवल कर दो।सदा ज्ञान की धार बहे,माता यह वर दो॥उज्ज्वल ज्ञान प्रकाश दो,माता वीणावादिनी।अज्ञान तम मन से मिटा,हे माँ,शुभ वरदायिनी॥ परिचय–डॉ.धाराबल्लभ पांडेय का साहित्यिक उपनाम-आलोक है। १५ फरवरी १९५८ को जिला अल्मोड़ा के ग्राम करगीना … Read more

विनय कर भाग्य जगाओ

मनोरमा चन्द्रारायपुर(छत्तीसगढ़)******************************************* करूँ ईश गुणगान,विनय कर साँझ-सवेरे।कृपा करो श्रीनाथ,द्वार हैं आए तेरे॥करते भक्त पुकार,हृदय में आस जगाएँ।करें कामना पूर्ण,सभी शुभ फल को पाएँ॥ विनय भाव मन धार,कृत्य अनुपम ही करना।राग-द्वेष को छोड़,नीर सम निर्मल बहना॥दुनिया माया जाल,मोह में कभी न पड़ना।इसका रूप विशाल,बचे तुम जग में रहना॥ आज करें अरदास,देश की गाथा गाएँ।मंदिर जाकर रोज,देव … Read more

युद्ध नहीं है धर्म हमारा

डॉ.धारा बल्लभ पाण्डेय’आलोक’अल्मोड़ा(उत्तराखंड) ************************************************ रचना शिल्प:३० मात्राएं,१६,१४ पर यति….. युद्ध नहीं है धर्म हमारा,शांति चाहने वाले हैं।छेड़ा अगर किसी ने तो हम,नहीं छोड़ने वाले हैं॥ चिंगारी को छेड़ोगे तो,ज्वाला बने मिटा देंगे।यदि फिर से टकराओगे तो,हम टुकड़े कर डालेंगे॥ अरे दुष्ट! तेरी यह हरकत,सफल नहीं हो पाएगी।तेरी सारी गीदड़ चालें,डर-डर कर थर्राएंगी॥ माह फरवरी चौदह … Read more

बसंती अति मन भावन

बोधन राम निषाद ‘राज’ कबीरधाम (छत्तीसगढ़)****************************************** वसंत पंचमी स्पर्धा विशेष ….. माघ बसंती अति मन भावन,सुन्दर सुखद निराली है।आम्र बौर की झुकती डाली,कोयल भी मतवाली है॥ जन्मदिवस माँ सरस्वती का,ऋतु बसंत की बेला है।तिथि पंचम शुभ दिन है आई,फूलों वाला मेला है॥ज्ञान बाँटती सप्त स्वरों की,शारद भोली भाली है।माघ बसंती अति मन भावन… दुल्हन जैसी ओढ़ … Read more

हूँ नन्हीं चिड़िया

आशा आजाद`कृति`कोरबा (छत्तीसगढ़) ******************************************* मैं हूँ नन्हीं सुंदर चिड़िया,वृक्ष एक आधार।मनुज छीनता आज देख लो,नित मेरा घर बार॥ जब-जब नीड़ बनाती हूँ मैं,घर जाता है टूट।धन का लालच हृदय बसाकर,चैन रहे हैं लूट॥ पीड़ा मुझको भी होती है,समझो मेरा मर्म।मूक सदा रहकर भी सुन लो,सदा निभाती धर्म॥ घर की चाहत जैसा रखते,वैसी मुझको आस।वृक्ष काटकर … Read more