जीना सीख लिया
राजू महतो ‘राजूराज झारखण्डी’धनबाद (झारखण्ड) ****************************************** धूप में,छाँव मेंअपनों से दुराव में,जीना सीख लिया। हार में,जीत मेंया हो प्रीत में,हँसना सीख लिया। अपनों के संग,परायों के संगया हो एकांत,रहना सीख लिया।…