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इसके पहले कि हम…

डॉ.सोना सिंह 
इंदौर(मध्यप्रदेश)
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इसके पहले कि हम,
भूल जाते अपनों को
दादी-नानी दादा-नाना को,
काका-काकी,मामा-मामी को
रिश्तों में भाई-बहन,बुआ-भतीजे
और मामा-भांजे को।

इसके पहले कि हम,
भूल जाते जीने वाले लम्हों को
खुलकर ठहाके लगाने वाले,
मोहल्ले वालों को
दोस्तों और उनके घरवालों को,
काॅलेज और स्कूल के बीते जमाने को।

इसके पहले कि हम,
भूल जाते अपने एहसासों को
बुजुर्गों के आर्शीवाद को,
उनकी ममता,प्रेम और त्याग को
परस्पर जीने की परम्परा को,
रीति-रिवाजों और मूल्यों के क्षण-क्षण को।

इसके पहले कि हम,
भूल जाते अपने अंतर्मन को
अपनों के साथ को,
उनके साथ के एहसास को
दर्द,खुशी और गम में,
मिल-बांट कर जीने को।

इसके पहले कि हम,
भूल जाते मानव अस्तित्व को
‘कोरोना’ ने सिखा दिया सबक,
साझेदारी का
कोरोना ने सिखा दिया पाठ,
साथ देने का साथ में जीने-मरने का।
कोरोना ने सिखा दिया हमें,
महत्व घर-परिवार का॥

परिचय-डॉ.सोना सिंह का बसेरा मध्यप्रदेश के इंदौर में हैL संप्रति से आप देवी अहिल्या विश्वविद्यालय,इन्दौर के पत्रकारिता एवं जनसंचार अध्ययनशाला में व्याख्याता के रूप में कार्यरत हैंL यहां की विभागाध्यक्ष डॉ.सिंह की रचनाओं का इंदौर से दिल्ली तक की पत्रिकाओं एवं दैनिक पत्रों में समय-समय पर आलेख,कविता तथा शोध पत्रों के रूप में प्रकाशन हो चुका है। सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के भारतेन्दु हरिशचंद्र राष्ट्रीय पुरस्कार से आप सम्मानित (पुस्तक-विकास संचार एवं अवधारणाएँ) हैं। आपने यूनीसेफ के लिए पुस्तक `जिंदगी जिंदाबाद` का सम्पादन भी किया है। व्यवहारिक और प्रायोगिक पत्रकारिता की पक्षधर,शोध निदेशक एवं व्यवहार कुशल डॉ.सिंह के ४० से अधिक शोध पत्रों का प्रकाशन,२०० समीक्षा आलेख तथा ५ पुस्तकों का लेखन-प्रकाशन हुआ है। जीवन की अनुभूतियों सहित प्रेम,सौंदर्य को देखना,उन सभी को पाठकों तक पहुंचाना और अपने स्तर पर साहित्य और भाषा की सेवा करना ही आपकी लेखनी का उद्देश्य है।