जगत के रक्षक

हीरा सिंह चाहिल ‘बिल्ले’बिलासपुर (छत्तीसगढ़)********************************************* रचनाशिल्प:५-७-५ अक्षर के क्रम में ३ पंक्तियां प्रति पद... भगवान हैं,जगत के रक्षककण-कण में। रूप बदलें,प्रभु रक्षक बनक्षण-क्षण में। पहचानना,मुश्किल है उनकोसबके लिए। ईश्वर रहें,मात-पिता…

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विश्वास

डॉ.पूजा हेमकुमार अलापुरिया ‘हेमाक्ष’मुंबई(महाराष्ट्र) ****************************************** दुखी मानवसब कुछ पाकरसंघर्षशील। भूल हमारीसुधरेगी अवश्यविश्वास बन। महक उठाघर-आँगन मेराबगिया तुम। राम स्मरणसदा बना रहताबता न सकूं। मन हमारामहत्वाकांक्षी बड़ामानें न हम। मन हारेगातुम्हारे…

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निराला गणतंत्र

अजय जैन ‘विकल्प’इंदौर(मध्यप्रदेश)****************************************** जीवन मंत्रभारत का निरालाहै गणतंत्र। जिम्मेदार होनिभाएं देश धर्मउदारता हो। हुई बर्बादीना भूलें बलिदानमिली आजादी। शान तिरंगाअनेकता-एकतामान तिरंगा। चमके देशफैलाएं हर ख़ुशीहो ये विशेष। भूखा न सोएऐसी…

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अद्भुत रत्न

अजय जैन ‘विकल्प’इंदौर(मध्यप्रदेश)****************************************** बहन बेटीइनको ही सम्भालेंअद्भुत रत्न। है ये आलोककरती फ़िक्र सदासम्भाले लोक। है अरूणिमाहर रूप में सेवाबेटी, कभी माँ। बेटी महानपाती जब शिखरबढ़ता मान। निभाती रीतिजोड़ती हर कड़ीबढ़ाती…

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रहा नहीं भरोसा

अजय जैन ‘विकल्प’इंदौर(मध्यप्रदेश)****************************************** छोड़ देता हैघर को बेटा आज़पत्नी के लिए। बेचारा बापजीवन की गठरीउठाए कैसे ? माँ बस रोतीकाश! मेरी औलादऐसी न होती। सुखी न दिखापाला जिसे खून सेउसी…

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करें स्वागत

अजय जैन ‘विकल्प’इंदौर(मध्यप्रदेश)****************************************** श्रीराम मंदिर प्राण-प्रतिष्ठा विशेष... सबके रामविराजमान होंगेबना है धाम। प्रवेश नयाराम बसे मन मेंरखना दया। नव प्रवेशझूम उठी अयोध्यामुस्काए देश। है कायाकल्पइतिहास बदलालिया संकल्प। मन में खुशीधन्य…

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रखें आशाएँ

अजय जैन ‘विकल्प’इंदौर(मध्यप्रदेश)****************************************** नव वर्ष विशेष... रखें आशाएँजीवन खेल नयाये समझाए। हो हँसी-खुशी,रिश्ते हो जिंदादिलहो प्रेम-शांति। मन न सूखेमुस्काए हर डालखिलता जाए। मिटे दूरियाँहो जाए सब भलाटले विपदा। बढ़ाओ प्रीतभुला…

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हूँ मौन

अजय जैन ‘विकल्प’इंदौर(मध्यप्रदेश)****************************************** है तो बहुतदर्द सुनाएँ किसे ?पर हूँ मौन। बिखरा घरयूँ गुजरी जिन्दगीलगी नजर।  बिखरे रिश्ते  सब थे मुरझाएजा मिलें कब ? आसमां थे वोकब हाथ छुड़ाया मेरे नहीं जो।…

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ख्वाइश

डॉ.पूजा हेमकुमार अलापुरिया ‘हेमाक्ष’मुंबई(महाराष्ट्र) ****************************************** भरता नहींख्वाइशों का झोलालें कितना भी। अमर बनेअपने कर्तव्यों सेमेहनती जो। कर्मठ लोगहोते जिद के पक्केपाते हैं लक्ष्य। आँखों में नहींहोती है नींद कभीमतवालों की।…

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सुगंधित

डॉ.पूजा हेमकुमार अलापुरिया ‘हेमाक्ष’मुंबई(महाराष्ट्र) ****************************************** मासूमियतबड़ों में अब कहाँ ?बच्चों में देखो। बदलता हैदौर खामोशियों मेंदेखना जरा। पलकें बिछीउम्मीदों के दामनफैलाए हुए। सागर सिंधुसमुद्र जलधि हैएक ही नाम। अथाह जललगे…

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