आज निराशा घन झड़ी घेरी…

ममता तिवारी ‘ममता’जांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)******************************************** अनुकूला छंद आधारित.... व्याकुल पाखी विरह की तेरी,बहुत पुकारा गगन से टेरी।श्याम धवल बदरिया छाई,आज निराशा घन झड़ी घेरी…॥आज निराशा… ब्याह रचा दुख हृदय से पापी,बांँह पसारे…

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पिचकारी जादुई चला दे

विजयलक्ष्मी विभा इलाहाबाद(उत्तरप्रदेश)************************************ पिचकारी जादुई चला दे,मन के सारे भेद भुला दे।कसम तुझे है अब रंगों की,इस होली में कलुष जला दे॥ तन से दूर रहें कितने ही,मन के सदा निकट…

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नारी का योद्धा रूप

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश)******************************************* नारी सदा स्वयंसिद्धा है, कर्म निभाता नारी जीवन।देकर घर-भर को उजियारा, नित मुस्काता नारी जीवन॥ कर्म निभाती है वो तत्पर, हर मुश्किल से लड़ जाती।गहन निराशा…

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कोयल मीठा गीत सुनाए

डॉ.एन.के. सेठीबांदीकुई (राजस्थान) ********************************************* फागुन का है मस्त महीना,अब झूम रहे नर-नार सभी।हँसी-खुशी से जीवन बीते,सुख का हो अहसास अभी॥बीत चला है माह शीत का,लगे धूप भी अब अलसाए।लगती है…

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प्रभु की दया

हीरा सिंह चाहिल ‘बिल्ले’बिलासपुर (छत्तीसगढ़)********************************************* कोई न संग साथी, चौबीस वर्ष बीते।हमने इन्हीं दिनों में, मन-प्रेम, चैन जीते।प्रभु की दया बनी है, दु:ख-दर्द जो मिटाते।वे ही विकल्प देते, संकल्प हम…

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गाता है मधुमास सुहाना

डॉ.एन.के. सेठीबांदीकुई (राजस्थान) ********************************************* आया मनभावन बसंत... ओढ़े पीली चादर धरती,लगता ज्यों नव वधु का आना।स्वागत करती मधुर कोकिला,गाता है मधुमास सुहाना॥ अवतरित हुई मात शारदे,करने जगत में ज्ञान प्रसार।बैठे…

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जीवन-दान

अंजना सिन्हा ‘सखी’रायगढ़ (छत्तीसगढ़)********************************* बाँट रहे हो उसको जिसने, जीवन दान दिया।उसका सीना छलनी करके, कैसा मान दिया॥ घर धन दौलत तुम सब-कुछ बाँटो, माँ कैसे बांटोगे ?माँ को दुख…

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समय की किसको खबर…

हीरा सिंह चाहिल ‘बिल्ले’बिलासपुर (छत्तीसगढ़)********************************************* अगले समय की किसको खबर है।पर उम्रभर की सबको फिकर है।मिट कर रहेगा जीवन जगत में,सब जानते पर किसको असर है॥ ऊँचा गगन से खुद…

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निठल्ला…

ममता तिवारी ‘ममता’जांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)******************************************** अलाव में डालते लकड़ी के टुकड़े…'तेज ठंड हो रखी है ना' मंगू बोलाजैसे बहुत बड़ा कोई राज खोला,ठंड फकत उसी को है जैसे जकड़े…। मुँह बिचकाती खड़ी…

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जय गणतंत्र

बोधन राम निषाद ‘राज’ कबीरधाम (छत्तीसगढ़)************************************************ स्वतंत्र देश और हमारी जिम्मेदारी... जय हो जय गणतंत्र की,जय हो भारत वर्ष।सतत् प्रगति की राह पर,मिले नया उत्कर्ष॥ नया सृजन गढ़ते रहें,नया-नया परिवेश।विश्व गगन…

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