राजा ही लूटे, ये कैसी अर्थ नीति ?

डॉ.अरविन्द जैनभोपाल(मध्यप्रदेश)******************************************* चिंतन... वर्तमान में चुनावी कार्यकाल में सब दल दिल खोलकर जनता को प्रलोभन देकर चुनाव जीतना चाहते हैं। कोई न कोई दल सत्तारूढ़ होगा और उसके द्वारा इतनी…

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राजनीतिक शुचिता के लिए चुनावी चोट आवश्यक

डॉ.अरविन्द जैनभोपाल(मध्यप्रदेश)******************************************* चिंतन... किसी भी देश के विकास में महत्वपूर्ण योगदान प्रधान-मुखिया की आस्था पर निर्भर करता है। मुखिया का प्रभाव जनता पर पड़ता है और जनता की भावनाएं मुखिया…

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स्वतंत्रता:नैतिकता और देशभक्ति की बहुत जरुरत

डॉ.अरविन्द जैनभोपाल(मध्यप्रदेश)******************************************* चिंतन.... स्वतंत्रता की भूमिका हमारे देश में १८५७ से शुरू हुई थी, जिसमें मंगल पांडेय, झाँसी की रानी जैसे हजारों लोगों ने अपने जीवन का बलिदान दिया था।…

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धीमा जहर है मोबाइल लेकर सोना

डॉ.अरविन्द जैनभोपाल(मध्यप्रदेश)***************************************************** विज्ञान वरदान के साथ अभिशाप भी होता है। आज मोबाइल हमारे जीवन का अनिवार्य अंग बन गया है और जो उपयोग करते हैं, वे मोबाइल के व्यसनी हो…

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आत्महत्याओं का बढ़ना बदनुमा दाग

ललित गर्गदिल्ली************************************** विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस (१० सितंबर) विशेष.... बढ़ती आत्महत्या की घटनाएं एक ऐसा बदनुमा दाग है, जो हमारे तमाम विकास एवं शिक्षित होने के दावों को खोखला करता…

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राष्ट्रीय चेतना जगाने आए थे धरती पर

ललित गर्गदिल्ली************************************** राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त (३ अगस्त) जन्म जयन्ती इतिहास और साहित्य में ऐसी प्रतिभाएं कभी-कभी ही जन्म लेती हैं, जो बनी बनाई लकीरों को पोंछकर नई लकीरें बनाते हैं।…

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भविष्य सुरक्षित बनाने की पहल जरुरी

डॉ.अरविन्द जैनभोपाल(मध्यप्रदेश)***************************************************** चिंतन.... १५ अगस्त १९४७ को इंडिया गुलामी की जंजीरों से मुक्त हुआ और हमने अमन- चैन की सांस ली। उस समय सभी कौम ने बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया।…

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अच्छा करने के लिए कष्ट आवश्यक नहीं

डॉ.अरविन्द जैनभोपाल(मध्यप्रदेश)***************************************************** चिंतन.. दुनिया में अच्छा करने के लिए हमें इस जीवन में दु:ख की जरूरत नहीं है। हममें से कई लोगों का यह गहरा विश्वास है कि दुनिया में…

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मन की वेदना हरें

अरुण वि.देशपांडेपुणे(महाराष्ट्र)*************************************** मित्रों,हम सब खुद को हमेशा ही संवदेनशील मन का व्यक्ति समझते हैं। यह स्वभाव विशेष हमारा दायित्व बढ़ाने वाला है। मन की पीड़ा,अंतर्मन की वेदना किसी के साथ…

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क्या `मेडिकल क्वारेंटाइन` भी वास्तव में ‘सूतक’ ही ?

अजय बोकिल भोपाल(मध्यप्रदेश)  ***************************************************************** जिस देश ने दुनिया को ‘क्वारेंटाइन’ जैसा शब्द दिया,उसने शायद ही सोचा होगा कि `कोरोना` वायरस जैसी वैश्विक महामारी से उसी देश में चीन के बाद…

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