संजय जैन
मुम्बई(महाराष्ट्र)
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पग-पग पर कांटे पड़े,
चलना तुमको पड़ेगा
भारत के अंग कश्मीर को,
तिरंगे में समाना होगा
और मंजिल से भटके हुए,
लोगों को समझाना होगा।
और मिलकर भारत की,
एकता को दिखलाना पड़ेगा॥
घायल और लहूलुहान हुए सीने,
उसका हमें कोई गम नहीं है
कैसे कराएं कश्मीर को,
आतंकवादियों से हम मुक्त
लिया ये संकल्प अब हमने,
चाहे जाएं इसमें प्राण हमारे।
पर कदमों को पीछे नहीं लेंगे,
भारत की शान के लिए॥
देश पर मरने-मिटने की,
खाई है हमने अब कसम
हैं हौंसले अब हमारे,
पूरी तरह से बुलंद
अब मंजिलों को पाना है,
चुकाना है़ फर्ज व कर्ज माँ का।
कश्मीर में तिरंगा झंडा,
भारत का लहराना है॥
जो भी युद्ध ऐसे करते हैं,
वो ही शूरवीर माँ के होते हैं
और अपनी अपनी मंजिलें,
उस माँ के आशीर्वाद से पाते हैं।
और भारत माँ के सच्चे सपूत
ये ही सच्चे पूत होते हैं॥
परिचय– संजय जैन बीना (जिला सागर, मध्यप्रदेश) के रहने वाले हैं। वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं। आपकी जन्म तारीख १९ नवम्बर १९६५ और जन्मस्थल भी बीना ही है। करीब २५ साल से बम्बई में निजी संस्थान में व्यवसायिक प्रबंधक के पद पर कार्यरत हैं। आपकी शिक्षा वाणिज्य में स्नातकोत्तर के साथ ही निर्यात प्रबंधन की भी शैक्षणिक योग्यता है। संजय जैन को बचपन से ही लिखना-पढ़ने का बहुत शौक था,इसलिए लेखन में सक्रिय हैं। आपकी रचनाएं बहुत सारे अखबारों-पत्रिकाओं में प्रकाशित होती रहती हैं। अपनी लेखनी का कमाल कई मंचों पर भी दिखाने के करण कई सामाजिक संस्थाओं द्वारा इनको सम्मानित किया जा चुका है। मुम्बई के एक प्रसिद्ध अखबार में ब्लॉग भी लिखते हैं। लिखने के शौक के कारण आप सामाजिक गतिविधियों और संस्थाओं में भी हमेशा सक्रिय हैं। लिखने का उद्देश्य मन का शौक और हिंदी को प्रचारित करना है।