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मत की राजनीति

डॉ.अशोक
पटना(बिहार)
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मत की राजनीति,
इन्सानियत की बगिया में,
वोट का प्रहार है।
सुंदर-सुंदर फूलों की जगह,
नागफनी की पैदावार है।
कमाल है लोकतंत्र,
कहीं भीड़-कहीं कोहराम है।
राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों में,
बढ़ रही तकरार है।
सड़क पर कानून की,
धज्जियां उड़ाई जा रही है।
कानून व्यवस्था भी खूब,
शर्मशार होकर मुरझा रही है।
निशाना यहां मत का,
दूसरे की परवाह नहीं।
कुचक्र की योजना यहां,
बनती-बिखरती यहीं।
थोड़ी-सी मछलियाँ,
सरोवर गंदा कर रही यहां।
कानून और न्याय की,
छिछली हालत बनातीं,
दिखती सदा यहां।
शब्दों के तीर दिखते,
बेअसर अब दिन यहां।
रावण युग के पिचाश,
अब खूब दिखते यहां।
हम-सब मिलकर आओ,
सद्भावना का त्योहार रचने
का प्रयास करें।
नागफनी के जैसे मत की,
पैदावार पर मिलकर
कठोरता से अब प्रहार करें।
मत की राजनीति करने वालों का,
हम-सब मिलकर बहिष्कार करें॥

परिचय-पटना(बिहार) में निवासरत डॉ.अशोक कुमार शर्मा कविता,लेख,लघुकथा व बाल कहानी लिखते हैं। आप डॉ.अशोक के नाम से रचना कर्म में सक्रिय हैं। शिक्षा एम.काम.,एम.ए.(राजनीति शास्त्र,अर्थशास्त्र, हिंदी,इतिहास,लोक प्रशासन एवं ग्रामीण विकास) सहित एलएलबी,एलएलएम,सीएआईआईबी, एमबीए व पीएच-डी.(रांची) है। अपर आयुक्त (प्रशासन)पद से सेवानिवृत्त डॉ. शर्मा द्वारा लिखित अनेक लघुकथा और कविता संग्रह प्रकाशित हुए हैं,जिसमें-क्षितिज,गुलदस्ता, रजनीगंधा (लघुकथा संग्रह) आदि है। अमलतास,शेफालीका,गुलमोहर, चंद्रमलिका,नीलकमल एवं अपराजिता (लघुकथा संग्रह) आदि प्रकाशन में है। ऐसे ही ५ बाल कहानी (पक्षियों की एकता की शक्ति,चिंटू लोमड़ी की चालाकी एवं रियान कौवा की झूठी चाल आदि) प्रकाशित हो चुकी है। आपने सम्मान के रूप में अंतराष्ट्रीय हिंदी साहित्य मंच द्वारा काव्य क्षेत्र में तीसरा,लेखन क्षेत्र में प्रथम,पांचवां,आठवां स्थान प्राप्त किया है। प्रदेश एवं राष्ट्रीय स्तर के अखबारों में आपकी रचनाएं प्रकाशित हुई हैं।